नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार के सारे तर्कों को सिरे से नकारते हुए एक जुलाई से चार धाम यात्रा कराने के कैबिनेट के निर्णय पर रोक लगा दी है। सरकार की ये फजीहत कमजोर तर्कों और आधी अधूरी तैयारी के चलते हुई। कोर्ट ने कहा कि सरकार के अधिकारी कोर्ट को बहुत हल्के ढंग से ले रहे हैं, लिहाजा मुख्य सचिव अधिकारियों को कोर्ट के समक्ष जवाब देने की ट्रेनिंग दें। अधिकारी गलत और अधूरी जानकारी देकर हमारे धैर्य की परीक्षा न लें। कोर्ट ने इस प्रकरण में अगली सुनवाई के लिए सात जुलाई की तिथि नियत की है।
सच्चिदानंद डबराल, दुष्यंत मैनाली, अनु पंत सहित अन्य ने इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सोमवार को वर्चुअल सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव ओमप्रकाश, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर और आशीष चौहान कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए। चीफ जस्टिस आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की बेंच ने सरकार की ओर से दिए गए 177 पृष्ठ के शपथपत्र पर असंतोष जाहिर किया।
हाईकोर्ट ने प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था और कोविड प्रोटोकॉल को लेकर अधिकारियों के सतही रवैये को लेकर फटकार लगाते हुए पूछा कि क्या हरिद्वार कुंभ के दौरान जो हुआ उसी को चारधाम यात्रा में भी दोहराने दिया जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि जब कांवड़ यात्रा पर रोक लगाई गई है, तब सरकार अपर्याप्त इंतजाम के साथ चारधाम यात्रा क्यों शुरू करना चाह रही है। हाईकोर्ट ने तीसरी लहर के संभावित खतरे और डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर चिंता जाहिर करते हुए सरकार की ढुलमुल नीति की भी निंदा की।