देहरादून प्रशासन का भी गजब हाल है। गली मोहल्लों में कुकुरमुत्तों की तरह पनप रहे इन नशा मुक्ति केंद्रों की निगरानी कौन करता है इसके लिए कोई तंत्र ही विकसित नहीं किया गया है। ऐसे में यहां कोई गलत काम हो या सही इसका न तो श्रेय लिया जाएगा और न ही किसी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। हालांकि, अब जिलाधिकारी ने चिट फंड एंड सोसाइटी रजिस्ट्रार से इसकी जानकारी मांगी है। ताकि, भविष्य में कोई नियम कायदे इनके लिए बनाए जा सकें।
दरअसल, हाल फिलहाल में ही दो मामले इस तरह के सामने आए हैं। इससे पहले एक और मामला 2018 में सामने आया था। इसमें राजपुर थाना क्षेत्र का एक नशा मुक्ति केंद्र पीड़ितों के भागने में चर्चाओं में आया था। तब भी और अब भी बस इतना ही पता चल पाया है कि यह एक सोसाइटी यानी समिति के अंतर्गत संचालित होते हैं, लेकिन न तो ये किसी विभाग के अंतर्गत हैं और न ही अन्य कोई निगरानी की व्यवस्था। जिलाधिकारी डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि अभी तक इन पर निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं है। फिलहाल, चिट्स फर्म्स एंड सोसाइटी रजिस्ट्रार से जानकारी मांगी गई है।