आखिरकार मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार ने कुंभ में हुई कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़े की जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय को सौंप दी है। 15 दिन में होने वाली जांच करीब सवा दो महीने में पूरी हुई है। 120 पन्नों की जांच रिपोर्ट में ढाई हजार दस्तावेज भी लगाए गए हैं। सूत्रों के अनुसार कोरोना टेस्टिंग में कई गंभीर अनियमितता मिली हैं। हालांकि, जिला प्रशासन ने जांच रिपोर्ट के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
कोरोना संक्रमण की दूूसरी लहर के साए में धर्मनगरी में कुंभ आयोजन हुआ। श्रद्धालुओं के कोरोना टेस्ट किए गए, ताकि बाहर से आने वाले श्रद्घालुओं से संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। इस व्यवस्था में अकेले कुंभ मेला प्रशासन की ओर से ही अलग से ही लैबों से लगभग ढाई लाख श्रद्धालुओं की जांच करने का दावा किया गया था। टेस्टिंग जांच रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद शासन के निर्देश तत्कालीन जिला अधिकारी सी रविशंकर ने 12 जून को मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता में जांच कमेटी का गठन किया।
कमेटी को 15 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट देनी थी। जांच पूरा होने में करीब सवा दो महीने लग गया। जांच रिपोर्ट तैयार करने के दौरान करीब एक लाख उन श्रद्धालुओं के मोबाइल नंबर की जांच की गई, जिनकी कुंभ के दौरान कोविड टेस्ट करने का दावा किया गया था। कुंभ मेला स्वास्थ्य विभाग की ओर से बनाए गए करीब 23 सेक्टर प्रभारियों के भी बयान दर्ज किए गए। आरोपित लैब संचालकों के भी बयान दर्ज हुए। सूत्रों के मुताबिक जांच में सत्यापित किए गए मोबाइल नंबरों में हजारों नंबर फर्जी पाए गए हैं। जिलाधिकारी की ओर से रिपोर्ट अब शासन को भेजी जाएगी।