ट्रेन लेट होने की वजह से छूटी फ्लाइट

-सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यात्री को 35000 रुपये देगा रेलवे

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसले में कहा कि यदि रेलवे अपनी ट्रेन के देरी से आने के कारणों का सबूत नहीं देती और यह साबित नहीं करती कि देरी उनके नियंत्रण से बाहर के कारणों की वजह से हुई है, तो उसे ट्रेन के देरी से पहुंचने के लिए मुआवजे का भुगतान करना होगा।

इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें ट्रेन के देरी से आने के चलते उत्तर पश्चिम रेलवे को शिकायतकर्ता यात्री को 35 हजार रुपए मुआवजे का भुगतान करने के लिए कहा गया था। राष्ट्रीय आयोग ने अलवर के जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम द्वारा पारित मूल मुआवजा आदेश की पुष्टि की थी, जिसे रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट में रेलवे की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने दलील दी थी कि ट्रेन के देर से चलने को रेलवे की ओर से सेवा में कमी नहीं माना जा सकता है। भाटी ने उस नियम का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि ट्रेन के देरी से चलने पर रेलवे की किसी तरह के मुआवजे का भुगतान करने की जिम्मेदारी नहीं होगी। इस नियम में कहा गया है कि ट्रेन के देरी से चलने और देर से गंतव्य पर पहुंचने के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने एएसजी के तर्क को खारिज कर दिया। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अगर ट्रेन देरी से पहुंची है और इसके लिए रेलवे के पास कोई वाजिब आधार नहीं है तो वह मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *