कृषि कानून वापस लेने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एलान के बाद धामी सरकार पर अब उत्तराखंड देवस्थानम प्रबंधन कानून वापस लेने का दबाव बढ़ गया है। चारधाम के तीर्थ पुरोहित और पंडा समाज के लोग इस कानून के विरोध में आंदोलनरत हैं। कानून पर बड़ा फैसला लेने के मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद से तीर्थ पुरोहित शांत हैं। अब कृषि कानूनों पर पीएम के एलान ने तीर्थ पुरोहितों की उम्मीदों को पंख लगा दिए हैं।
दरअसल, प्रदेश की भाजपा सरकार चुनावी साल में दो अहम कानूनों पर घिरी है। इनमें पहला देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम और दूसरा उत्तरप्रदेश जमींदारी उन्मूलन भूमि व्यवस्था सुधार संशोधन अधिनियम है। इन दोनों अधिनियमों के विरोध में खासतौर पर राज्य के पर्वतीय जिलों के लोगों में नाराजगी है। विरोध को संभालने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो अहम कमेटियों का गठन किया। इसे सीएम की डैमेज कंट्रोल की कवायद के तौर पर देखा गया।
गैरसैंण विधानसभा सत्र में आ सकते हैं बिल
सरकार सात व आठ दिसंबर को होने जा रहे गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम को वापस लेने के लिए विधेयक ला सकती है। केदारनाथ में पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम से ठीक पहले तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी को थामने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मैदान में उतरना पड़ा था। कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और सुबोध उनियाल ने भी मोर्चा संभाला था। तब मुख्यमंत्री ने 30 नवंबर तक देवस्थानम प्रबंधन कानून पर बड़ा फैसला होने के संकेत दिए थे।