नई दिल्ली। आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों का सामना कर रही मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति देने और ‘न्यू इंडिया’ की नींव रखने के लिए भारी भरकम 9 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की डोज देने का फैसला किया है। इसके तहत साढ़े पांच लाख करोड़ रुपये की ‘भारतमाला परियोजना’ शुरु कर देश में अभूतपूर्व स्तर पर हाइवे और एक्सप्रेसवे का जाल बिछाया जाएगा। वहीं फंसे कर्ज के संकट से बैंकों को उबारने के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध करायी जाएगी। माना जा रहा है कि इन उपायों से न सिर्फ विकास की रफ्तार तेज होगी बल्कि बड़े स्तर पर रोजगार सृजन भी होगा।
सरकार ने यह घोषणा ऐसे समय की है जब देश की विकास दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में घटकर तीन साल के न्यूनतम स्तर 5.7 पर आ गयी है। वहीं गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधान सभा चुनाव से पहले विपक्ष नोटबंदी और जीएसटी से कारोबार ठप पड़ने और नौकरियां जाने का आरोप लगाते हुए राजग सरकार पर हमलावर है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल के दिनों में वित्त मंत्री और वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के साथ अर्थव्यवस्था की सेहत का जायजा लिया है। यही वजह है कि पिछले कुछ हफ्तों से विकास दर को बढ़ावा देने के लिए पैकेज की घोषणा के संबंध में कयास लगाए जा रहे थे।इन कयासों पर विराम लगाते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली अपने मंत्रालय के पांच सचिवों के साथ मीडिया से मुखातिब हुए। उन्होंने भरोसा दिलाया कि अर्थव्यवस्था के सभी आधार स्तंभ मजबूत हैं। वित्त सचिव अशोक लवासा, आर्थिक कार्य विभाग सचिव सुभाष चंद्र गर्ग और बैंकिंग सचिव राजीव कुमार ने अर्थव्यवस्था की स्थिति दिखाने के लिए बाकायदा पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया।
गर्ग ने कहा कि बीते तीन साल में महंगाई और चालू खाते के घाटे पर काबू पाया गया है और जीएसटी जैसे सुधारों से भ्रष्टाचार में कमी आ रही है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में अस्थाई सुस्ती दूर हो रही है और आने वाले वर्षो में देश की विकास दर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमानों से भी अधिक रहेगी। जेटली ने स्पष्ट किया कि खर्च की इस व्यवस्था का असर सरकार के राजकोषीय घाटे के 3.2 फीसद के लक्ष्य को प्रभावित नहीं करेगा।इससे पहले इन अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में भी अर्थव्यवस्था की स्थिति पर प्रजेंटेशन दिए जिसके बाद इन अहम फैसलों को मंजूरी दी गयी।