नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी एसटी) आरक्षण में क्रीमी लेयर न होने पर सवाल उठाया है। कोर्ट ने पूछा कि क्या एससी एसटी के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से ऊपर उठ चुके लोग अपने ही वर्ग के पिछड़े लोगों का हक नहीं मार रहे हैं। इस मुद्दे पर गुरुवार को करीब आधा घंटे चली गरमागरम बहस के दौरान अदालत ने इसे संविधान पीठ को विचार के लिए भेजे जाने के भी संकेत दिये। दरअसल सुप्रीम कोर्ट एससी एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण का मुद्दा संविधानपीठ को भेजे जाने पर सुनवाई कर रहा है। इसी सुनवाई के दौरान कोर्ट का ध्यान एससी एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू न होने की ओर गया। जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मामले में बहस कर रहीं वरिष्ठ वकील इंद्रा जयसिंह से सवाल किया कि एससी एसटी वर्ग में आरक्षण के सहारे अब ऊपर उठ चुके लोगों को इसका लाभ क्यों मिलना चाहिए। एससी एसटी की क्रीमी लेयर को आरक्षण के लाभ से बाहर क्यों नहीं किया जाना चाहिए। जस्टिस कुरियन के इन सवालों में पीठ की दूसरी न्यायाधीश आर भानुमति ने भी साथ दिया और कहा कि हमारा सवाल है कि जो लोग सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से ऊपर उठ चुके उन्हें आरक्षण का लाभ क्यों मिले जबकि उसी वर्ग के लोग उनसे पीछे छूट गए हैं। क्या राज्य सरकारें एससी एसटी सूची से ऐसे लोगों को बाहर कर सकती है। वरिष्ठ वकील पीएस पटवालिया ने इसका जवाब देते हुए कहा कि एससी एसटी में पिछड़ेपन का फंडा नहीं लागू होता। एससी एसटी सूची से किसी वर्ग को सिर्फ संसद ही कानून बना कर बाहर कर सकती है।