लंबी सुस्ती के बाद अब टीएचडीसी में हिस्सेदारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही जंग एक दिलचस्प मोड़ पर आती दिख रही है। उत्तराखंड की पहल पर सर्वोच्च अदालत ने इस वाद की सुनवाई में तेजी को लेकर राज्य सरकार की अपील को स्वीकार किया और बुधवार को वाद के बिंदू भी तय कर दिए। इससे उत्तराखंड सरकार की उम्मीदों को पंख लग गए हैं।
टीएचडीसी में हिस्सेदारी का फायदा ले रही उत्तर प्रदेश सरकार के अधिवक्ता से भी वाद के बिंदू देने के लिए कहा गया था, लेकिन उनकी ओर से कोई बिंदू नहीं दिए गए, जबकि उत्तराखंड सरकार ने 13 बिंदू दिए थे। इन वाद बिंदुओं की समीक्षा करते हुए न्यायालय ने पांच वाद बिंदू निर्धारित कर दिए हैं। वर्ष 2012 में टीएचडीसी में हिस्सेदारी के वाद में न्यायालय ने उत्तराखंड के पक्ष में एकपक्षीय आदेश दे दिया था। यूपी ने वाद के अध्ययन के लिए समय मांगा था। तब से इस मामले में बात आगे नहीं बढ़ पा रही थी। न्यायालय में लंबित वाद में तेजी लाने के लिए राज्य सरकार ने पहल की। न्यायालय ने राज्य सरकार की अपील को स्वीकार कर लिया। 12 सितंबर को इस मामले में न्यायधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और जस्टिस जेके माहेश्वरी की खंडपीठ के समक्ष यूपी के अधिवक्ता ने वाद के अध्ययन के लिए फिर समय मांगा। इस पर न्यायालय ने दो दिन का समय दिया।