मानव ईश्वर भक्ति से जुड़कर जीवन को सफ़ल बनाएःसाध्वी आस्था भारती

देहरादून। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 12 से 18 सितंबर तक दिल्ली में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का भव्य आयोजन किया जा रहा है। गुरुदेव आशुतोष महाराज (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) की शिष्या भागवताचार्या महामनस्विनी विदुषी आस्था भारती ने कथा के सप्तम दिवस शास्त्रों के साथ-साथ आधुनिक जगत से अनेकों वैज्ञानिक व तर्क-सम्मत उदाहरण देते हुए आध्यात्मिक सरिता से भक्त हृदयों को सींचा। उन्होंने बताया कि ये पौराणिक कथाएं आज भी मानव जीवन और समाज को सुंदर रूप देने के लिए उत्तम राह दिखाती हैं। मानव हर सुबह नींद से जागता है लेकिन अपने लक्ष्य के प्रति अज्ञानता की नींद से वह कब जागेगा। 9/11 अमेरिका पर हुआ आतंकी हमला हो या निपाह और कोरोना वायरस हमले जैसी विभीषिकाएं, सुनामी हो या भूकंप- ये सभी वार्निंग अलार्म हैं कि संसार की समस्त विद्या व शक्ति की भी सीमाएं हैं। सुरक्षा कवच हमारे शरीर व भौतिक संसाधनों को बचाने के प्रयास हैं। पर अवश्यम्भावी मृत्यु या ब्तपेपे से हमें इनमें से कोई भी नहीं बचा सकता। परीक्षित, अल्फ्रेड नोबेल आदि मृत्यु की परछाई को देखकर जाग गए। अपनी मृत्यु को सजाने व जीवन को सफल-सुंदर बनाने में जुट गए। भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है जो जीवन को जीते हुए भी परेशानियों का उत्तम समाधान देती है और जीवन के बाद भी मोक्ष को सुनिश्चित करती है। परमात्मा की भक्ति रूपी सुरक्षा कवच के प्रति हम कब जागरूक होंगे।
साध्वी जी ने बताया कि समाज ईश्वर से जुड़कर शिवत्व की ओर बढ़ता है तथा ईश्वर से विलग हो शवत्व की ओर। जिस प्रकार कुछ ही समय में शव से दुर्गन्ध उत्पन्न होने लगती है, उसी प्रकार जब-जब भी समाज वास्तविक धर्म से दूर होता है तो उसमें भी भ्रष्टाचार, अत्याचार व आतंकवाद इत्यादि दुर्गन्ध उत्पन्न हो जाती है। यदि हम समाज को पुनः स्वस्थ बनाना चाहते हैं तो हमें उसकी हर एक इकाई को वापिस उसके मूल यानि शाश्वत धर्म से जोड़ना होगा। धर्म ही मानव मन की मलिनता को दूर कर व्यक्ति व समाज को सुंदर रूप प्रदान कर सकता है। आपको जानकार हर्ष होगा कि आज गुरुदेव आशुतोष महाराज की कृपा से उसी सनातन धर्म का दर्शन मानव को प्रदत्त किया जा रहा है और मानव में आमूल-चूल परिवर्तन देखने को भी मिल रहा है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न सामाजिक प्रकल्प इसकी जीवंत मिसाल हैं। हर वर्ग व उम्र के लिए कार्यरत इन प्रकल्पों ने समाज के नव निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *