देहरादून। दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की तो पूरी मशीनरी दिल्ली के प्रदूषण को कम करने में जुट गई। जबकि दिल्ली से सैकड़ों किलोमीटर दूर देहरादून भी वायु प्रदूषण का अलार्म बजने लगा है। यह बात और है कि खतरनाक स्तर पर छू चुके देहरादून के वायु प्रदूषण पर अभी तक किसी की निगाह नहीं अटकी है।
खतरे की इस घंटी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मंगलवार को जहां दिल्ली में वायु प्रदूषण का अधिकतम स्तर 460 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, वहीं दून के अंतरराज्यीय बस टर्मिनल (आइएसबीटी) क्षेत्र में यह दर 400.4 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पहुंच गई थी। इसके आंकड़े बुधवार को उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जारी किए।
बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एसएस राणा के मुताबिक आमतौर पर आइएसबीटी में ससपेंडेड पार्टिकुलेट मैटर/श्वसनीय निलंबित ठोस कण (आरएसपीएम) 300 के आसपास रहता है, लेकिन मंगलवार को इसका 400 के अंक को पार कर जाना असामान्य है। उन्होंने कहा कि आइएसबीटी क्षेत्र में वाहनों की अत्यधिक आवाजाही व निर्माण कार्य के चलते श्वसनीय निलंबित ठोस कणों की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। वहीं, सर्दियों का मौसम होने और नमी के चलते इन कणों का फैलाव कम हो जाता है। साथ ही यह धरती के निकट जमा होने लगते हैं। ऐसे में सांस के साथ ये कण मानव शरीर में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं।
पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एसएस राणा के अनुसार आइएसबीटी पर वायु प्रदूषण की असामान्य स्थिति को देखते हुए अगले कुछ दिन निरंतर निगरानी की जाएगी। यदि आंकड़ा यही रहा तो सरकार को इसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी।
महानिदेशक (उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद) डॉ. राजेंद्र डोभाल का कहना है कि दून के वायु प्रदूषण का इस कदर बढ़ जाना खतरे की घंटी है। पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए ठोस प्रयास करने होंगे। सबसे पहले बोर्ड को प्रदूषण का रियल टाइम डाटा एकत्रित करने की व्यवस्था करनी होगी।