2017 में भाजपा ने 17 साल बाद मेयर की सीट छीनी थी। अब 2023 में लगातार दूसरी बार इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा। विपक्ष का दावा, रणनीति और वोट, सबकुछ बिखर गया। 29 राउंड की मतगणना में कोई भी प्रत्याशी भाजपा के उमेश गौतम के आसपास नहीं दिखाई दिया। पहले राउंड से ही उमेश गौतम ने जीत की इबारत लिखनी शुरू की जो अंत में बड़ी जीत में तब्दील हुई। दूसरी ओर हर राउंड में विपक्ष के हाथ से जीत फिसलती चली गई। नगर निगम के इस चुनाव में जहां भाजपा की पैठ और गहरी हुई, वहीं सपा एक तरह से साफ हो गई। पार्षदों की संख्या 28 से घटकर 13 पर सिमट गई। विपक्ष के दूसरे दल भी वार्डों में कोई कमाल नहीं दिखा सके।
यहां भी भाजपा का दबदबा रहा। भाजपा ने 51 वार्डों में कब्जा किया। बसपा का एक भी पार्षद नहीं जीता और कांग्रेस के खाते में तीन पार्षद आए। रालोद और एआईएमआईएम के हिस्से में एक-एक सीट आई। 11 निर्दलीय प्रत्याशी भी शहर की सरकार का हिस्से बने। मुस्लिम मतदाताओं में बिखराव साफ दिखा। किसी भी विपक्षी दल को एकमुश्त वोट नहीं पड़ा। कुछ बूथों पर जरूर भाजपा ने इस वोटबैंक में सेंधमारी की।
दरअसल, सपा इस चुनाव हर मोर्चे पर फेल रही। टिकट वितरण से लेकर नामांकन तक नाटकीय घटनाक्रम होते रहे। पहले तो प्रत्याशी की घोषणा देरी से की और संजीव सक्सेना पर दांव लगाया। संगठन चुनाव लड़ाने के लिए सक्रिय हुआ तो इसी बीच पूर्व मेयर डॉ. आईएस तोमर ने निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया। मीडिया को बयान दिया कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का आशीर्वाद मेरे साथ है। इसके बाद संगठन के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। सपा दो खेमों में बंटी दिखाई देने लगी।