रेलवे पुलिस बल के मानसिक रूप से विक्षिप्त कांस्टेबल चेतन सिंह ने जयपुर मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन में अपने वरिष्ठ (टीकाराम मीना, एएसआई) और तीन अन्य की बेरहमी से हत्या कर दी। जब आरोपी चेतन को गिरफ्तार किया गया, तो उसने कहा कि जब वह ट्रेन में सो रहा था, तो उसके मृत पिता उसके सपने में आए और उससे कहा कि जो भी उसके रास्ते में आए उसे खत्म कर दो। उसने सबसे पहले अपनी सर्विस राइफल से बी-5 कोच के शौचालय के पास एएसआई टीकाराम मीना को निशाना बनाते हुए चार राउंड फायर किए, फिर कोच के दूसरे छोर पर भानपुरवाला पर गोली चलाई, फिर कोच एस-6 और बगल की पैंट्री कार में जाकर असगर अब्बास और पर गोली चलाई। चेतन सिंह ने एक अन्य यात्री पर भी गोली चलाई जिसकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई है स जब मीरा रोड से दहिसर के बीच एस-5 कोच में चेन खींची गई, तो चेतन सिंह ने भागने की कोशिश की, लेकिन उसे पकड़ लिया गया। राइफल के साथ सात कोचों में घूमते हुए, उसने किसी भी व्यक्ति से उनकी पहचान नहीं पूछी, लेकिन फायरिंग करता रहा।
मानसिक रूप से बीमार आरोपी चेतन सिंह द्वारा की गई गोलीबारी में हिंदू (2), अज्ञात व्यक्ति (1), मुस्लिम (3) को निशाना बनाया गया। ऐसे में यह आरोप लगाना कि यह गोलीबारी किसी धर्म विशेष के प्रति नफरत से प्रेरित थी और इसमें अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए सांप्रदायिक तनाव भड़काने वाली हरकत है।
इस घटना के तुरंत बाद राणा अय्यूब ने अपने ट्वीट के जरिए सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की। असदुद्दीन ओवैसी ने इसे मुस्लिमों के खिलाफ आतंकी कार्रवाई बताया है।
अगर राणा अय्यूब और उनके जैसे लोग वास्तव में मुसलमानों की परवाह करते हैं, तो उन्हें उन मुसलमानों के खिलाफ भी आवाज उठानी चाहिए जो बिना किसी कारण के, सिर्फ उनकी धार्मिक मान्यताओं के लिए दूसरे संप्रदाय के मुसलमानों पर हमला कर रहे हैं। राणा अय्यूब को उन लोगों पर भी ध्यान देना चाहिए जो अपनी मस्जिदों में बोर्ड लगाकर बैठे हैं कि दूसरे समुदाय के लोगों को इस मस्जिद में प्रवेश नहीं करना चाहिए और यदि वे ऐसा करते हैं, तो परिणाम के लिए वे स्वयं जिम्मेदार होंगे। राणा अय्यूब चुप क्यों हैं, जब दूसरे मुसलमान किसी संप्रदाय विशेष की मस्जिद में प्रवेश करते हैं तो न केवल उनका अपमान किया जाता है बल्कि मस्जिदों को धोया भी जाता है। उनके द्वारा दिया गया नफरत भरा भाषण दूसरे समुदाय के लोगों को आतंक का शिकार बनाने का एक प्रयास है।
संविधान और संवैधानिक मूल्यों की दुहाई देने वाले इस तथाकथित गिरोह के लोग तब चुप क्यों रहते हैं, जब खुद को मुस्लिम कहने वाला एक धार्मिक कट्टरपंथी समूह अन्य मुसलमानों का उनकी धार्मिक आस्था के आधार पर शोषण करता है, उनका अपमान करता है और उनके खिलाफ हिंसक घटनाएं भी करता है। क्या राणा अय्यूब, औवेसी और उनके जैसे लोग इसका जवाब देंगे..? वे कभी जवाब नहीं देंगे, क्योंकि उन्हें मुसलमानों की समस्याओं, उनके मुद्दों और हितों से कोई लेना-देना नहीं है। ये लोग दुनिया के सामने भारत को बदनाम करने के लिए किसी भी घटना को तूल देकर अपने निहित राजनीतिक स्वार्थों को पूरा करने की कोशिश करते हैं।
प्रस्तुतिः-अमन रहमान