सिडनी: ऑस्ट्रेलिया में पांच साल तक चली एक जांच की अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के संस्थान दशकों से बच्चों की देखभाल करने में नाकाम रहे हैं और हजारों बच्चे यौन शोषण का शिकार हुए हैं. जांच रिपोर्ट में इसे राष्ट्रीय त्रासदी बताया गया है. चर्चों, अनाथालयों, खेल क्लबों, युवा समूहों और स्कूलों में यौन शोषण का शिकार हुए 15,000 से ज्यादा बच्चों ने जांच आयोग से संपर्क किया.
बच्चों ने आयोग को अपनी दर्दनाक दास्तां बताई. कुल मिलाकर 4,000 से अधिक संस्थानों पर यौन शोषण का आरोप लगा जिनमें से ज्यादातर कैथोलिक संस्थान थे. अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया के कई संस्थानों में हजारों बच्चों का यौन शोषण किया गया. हमें कभी सही संख्या का पता नहीं चलेगा. जो भी संख्या हो लेकिन यह एक राष्ट्रीय त्रासदी है.
गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया के गिरजाघरों में बाल यौन शोषण संबंधी एक जांच के जो आकंड़े सामने आए हैं वह चौंकाने वाले हैं और उनका बचाव नहीं किया जा सकता. इनसे पता चलता है कि वर्ष 1950 से 2010 के बीच 7% कैथोलिक पादरियों पर बाल शोषण के आरोप लगे थे लेकिन इनकी कभी जांच नहीं की गई.
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‘द रॉयल कमीशन इंटू इंस्टिट्यूशनल रेस्पोन्सेस टू चाइल्ड सेक्सुअल अब्यूज’ को पता चला कि गिरजाघर प्राधिकारियों के पास बाल यौन शोषण के कथित 4,444 मामलों की शिकायत की गई जिनमें से 15% से अधिक मामलों में आरोप पादरियों पर लगे. ऑस्ट्रेलिया ने देशभर में बाल यौन शोषण मामलों की जांच के लिए बढ़ते दबाव के मद्देजनर करीब एक दशक बाद वर्ष 2012 में ‘द रॉयल कमीशन’ को जांच के आदेश दिए. चार साल की सुनवाई के बाद जांच अब अपने अंतिम चरण में है.
सिडनी में चल रही जांच में पूछताछ की अगुवाई कर रही वकील गेल फर्नेस ने कहा, ‘वर्ष 1950 से 2010 के बीच के मामलों में कुल 7% पादरी कथित आरोपी थे. ’ उन्होंने कहा, ‘आंकड़े निराशाजनक हैं. बच्चों को नजरअंदाज किया गया और उससे भी बुरा यह की उन्हें दंडित भी किया गया. आरोपों की जांच नहीं की गई.