विश्व की सांस्कृतिक धरोहर सलूड़- डुंग्रा की रम्माण का हुआ समापन

चमोली: विश्व की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर रम्माण मेले का आयोजन आज गुरुवार 13 गते बैशाख को विश्व प्रसिद्ध सलूड-डुंग्रा गांव में आयोजित हुई। विश्व प्रसिद्ध रम्माण मेले का आयोजन सलूड-डुंग्रा की संयुक्त पंचायत आयोजत करती है जिसमें भूमि क्षेत्रपाल की पूजा अर्चना और 18 पत्तर का नृत्य और 18 तालों पर राम, लक्ष्मण, सीता, हनुमान का नृत्य होता है। दूर-दूर से क्षेत्रों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु सलूड गांव में रम्माण देखते आते है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन द्वारा वर्ष 2009 में सलूड़-डुंग्रा की इस को विश्व की सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिया। 07 जोड़े पारंपरिक ढोल दमाऊ की थाप पर मोर-मोरनी नृत्य, बण्या-बाणियांण, ख्यालरी, माल नृत्य सबको रोमांचित करने वाला होता है, कुरजोगी सबका मनोरंजन करता है।
बण्या-बाणियांण, ख्यालरी, माल नृत्य सबको रोमांचित करने वाला होता है, कुरजोगी सबका मनोरंजन करता है।
अंत मे भूमि क्षेत्रपाल देवता अवतरित होकर 1 वर्ष तक के लिए अपने मूल स्थान पर विराजित हो गए। रम्माण के संयोजक डॉ कुशल सिंह भंडारी का कहना है कि सलूड़-डुंग्रा की रम्माण सब में प्रसिद्ध इसलिए है क्योंकि यहां का मुखौटा नृत्य सब मे विशिष्ट है और संस्कृति से जुड़ा ये मेला सबको जोड़ने के साथ परंपरा को जीवित रखे हुए है। रंगकर्मी डॉ दाता राम पुरहोत का कहना है कि सलूड़-डुंग्रा की रम्माण वैदिक संस्कृति से जुड़ी और रामायण काल की घटनाओं को मूर्त रूप देती सांस्कृतिक कला है। उनका कहना है कि हजारों की संख्या में सलूड़-डुंग्रा की रम्माण में शामिल श्रद्धालुओं के कारण ही ये रम्माण विश्व की सांस्कृतिक धरोहर है।
उत्तराखण्ड का जिक्र वैदिक काल से होता आ रहा है, इस लिए आज भी उत्तराखंड में रामायण-महाभारत काल की सेकड़ों विधाएं मौजूद हैं, जिनमें से कई विधाएं विलुप्त हो गई है और कई विधाएं विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है, लेकिन कई लोगों के अथक प्रयासों एवं दृढ़ निश्चय के द्वारा कई विधाओं के संरक्षण और विकास के लिए अभूतपूर्व काम किया है। और उत्तराखण्ड को समूचे विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान दिलाई है। जो उत्तराखंड की लोक संस्कृति से रू-ब-रू कराती हैं। साथ ही वर्षों पुरानी सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने का प्रयास भी करते हैं। ऐसी ही एक लोक संस्कृतिक रम्माण है। इस अवसर पर बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के उपाध्यक्ष किशोर पंवार, भवन एवं अन्य संन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के सदस्य कृष्णमणि थपलियाल, रम्माण के संयोजक डॉ कुशल सिंह चौहान, पूर्व ब्लॉक प्रमुख प्रकाश रावत, पूर्व नगर पालिका अध्यक्षा रोहिणी रावत, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्षा विजया रावत, विक्रम फरस्वाण, हरेंद्र राणा, किशोर फरस्वाण सहित सैकड़ों भक्त उपस्थित रहे।

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