देहरादून। प्रदेश की राजधानी दून में अवैध बस्तियों पर अतिक्रमण करके बनाई गई अवैध कॉलोनियों पर सोमवार से बुलडोजर चलना शुरू हो गया है। देहरादून नगर निगम की टीम ने 27 अवैध बस्तियों में 500 से ज्यादा मकानों को तोड़ने के लिए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी है।
देहरादून में बीते रोज ही देहरादून नगर निगम, एसडीडीए और मसूरी नगर पालिक ने 504 नोटिस जारी किए थे, जिसके बाद आज अवैध मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई। 504 नोटिस में से मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने 403, देहरादून नगर निगम ने 89 और मसूरी नगर पालिक ने 14 नोटिस भेजे थे।
इस मामले में ज्यादा जानकारी देते हुए उप नगर आयुक्त गोपालराम बेनवाल ने बताया कि देहरादून नगर निगम ने करीब 525 अवैध अतिक्रमण चिन्हित किए थे। उसमें 89 लोगों पर नगर निगम ने नोटिस जारी किए थे, जिसमें से 15 लोगों ने ही अपने साल 2016 से पहले के निवास के साक्ष्य दिए हैं। वहीं 74 लोग कोई साक्ष्य नहीं दिखा पाए हैं। उन सभी 74 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अधिकांश लोगों ने नोटिस के बाद अपने अतिक्रमण खुद ही हटा लिए थे, लेकिन जिन्होंने नहीं हटाए थे, उनको अभियान के तहत आज हटाया जा रहा है। आज 27 अतिक्रमणों को तोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। शाम तक सभी 27 अतिक्रमणों को तोड़ दिया जाएगा। आगे भी यह अभियान जारी रहेगा।
अवैध बस्तियों के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही पर कांग्रेस ने जताई आपत्ति
देहरादून। अवैध बस्तियों पर प्रशासन की तरफ से की जा रही इस कार्रवाई पर कांग्रेस ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। उत्तराखंड मलिन बस्ती विकास परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष और कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने इस मामले पर सरकार को जमकर घेरा है।
सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने साल 2016 में मलिन बस्तियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू की थी और उसके बाद से ही वहां रह रहे लोगों को मालिकाना हक देना शुरू किया था। लेकिन 2017 में सरकार बदल गई और बीजेपी ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। तब से लेकर अभीतक बीजेपी सरकार ने मलिन बस्तियों के नियमितीकरण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
वहीं, विपक्ष के आरोपों का शहरी विकास मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने जवाब दिया। मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस सिर्फ आम लोगों को गुमराह करने का काम कर रही है। सरकार मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों के हितों को संरक्षित करते हुए अध्यादेश लाई थी। अब जब अध्यादेश की अवधि खत्म होगी, उससे पहले सरकार कुछ ना कुछ इस पर ठोस रणनीति बनाएगी।