मुंबई। दो सौ साल पुरानी जंग की वर्षगांठ पर भड़की हिंसा की वजह से महाराष्ट्र एक बार फिर जातिगत तनाव के मुहाने पर खड़ा है। राज्य सरकार द्वारा दलितों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा रोकने में विफल रहने पर एक राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया गया है। रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि दलित प्रदर्शनकारियों ने बुधवार सुबह ठाणे रेलवे स्टेशन पर ट्रकों को रोकने की कोशिश की लेकिन उन्हें जल्द ही खदेड़ दिया गया तथा मध्य रेलवे लाइन पर यातायात बाधारहित है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने गोरेगांव उपनगर में पश्चिमी लाइन पर रेल यातायात भी बाधित करने की कोशिश की। दक्षिण मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज में11वीं कक्षा की परीक्षाएं रद्द कर दी है।
भारिप बहुजन महासंघ (बीबीएम) के नेता और डॉ. बी आर अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने दो दिन पहले पुणे जिले के भीमा कोरेगांव गांव में हिंसा रोकने में राज्य सरकार की ‘‘विफलता’’ के विरोध में महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया है। अंबेडकर ने इस हिंसा के लिए हिंदू एकता अघाड़ी को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र डेमोक्रेटिक फ्रंट, महाराष्ट्र लेफ्ट फ्रंट और करीब 250 अन्य संगठनों ने बंद का समर्थन किया है। बहरहाल, राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि उसने स्कूलों में छुट्टी घोषित नहीं की है लेकिन बस ऑपरेटरों ने कहा कि वे मुंबई में आज स्कूल बसें नहीं चलाएंगे।
स्कूल बस मालिकों के संघ के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम छात्रों की सुरक्षा का जोखिम नहीं उठा सकते। अगर हम दूसरी पारी में बस चला सकते हैं तो इस पर स्थिति देखने के बाद फैसला लेंगे।’’ गुजरात से विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने आरोप लगाया कि दो दिन पहले पुणे जिले में दलितों पर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्थकों ने हमले किए थे। मेवाणी मंगलवार को मुंबई में थे।
उन्होंने कहा, ‘‘ये संगठन आधुनिक युग के पेशवा हैं जो सबसे खराब रूप में ब्राह्मणवाद का प्रतिनिधित्व करते हैं। दो सौ साल पहले हमारे पूर्वज पेशवा के खिलाफ लड़े। आज मेरी पीढ़ी के दलित नए पेशवा के खिलाफ लड़ रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दलित शांतिपूर्ण रूप से भीमा कोरेगांव युद्ध की वर्षगांठ क्यों नहीं मना सकते? हमलावरों ने ऐसे तरीके अपनाए क्योंकि वे दलित आह्वान से भयभीत हैं।’’
पुणे पुलिस ने मंगलवार रात कहा था कि उन्हें मेवाणी और दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र नेता उमर खालिद के खिलाफ शिकायत मिली है। ऐसा आरोप है कि उन्होंने 31 दिसंबर को पुणे में एक कार्यक्रम में ‘‘भड़काऊ’’ भाषण दिया।
मेवाणी और खालिद पुणे के शनिवार वाड़ा में भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह मनाने के लिए आयोजित ‘‘एल्गर परिषद’’ में शामिल हुए। पुणे जिले में उस समय हिंसा भड़क उठी जब दलित संगठन भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह मना रहे थे। इस युद्ध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को हरा दिया था। दलित नेता ब्रिटिश जीत का जश्न मनाते हैं क्योंकि उनका मानना है कि उस समय अछूत माने जाने वाले महार समुदाय के सैनिक कंपनी की सेना का हिस्सा थे। पेशवा ब्राह्मण थे और इस लड़ाई को दलित की जीत का प्रतीक माना जाता है।