देहरादून। उत्तराखण्ड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद उद्योग निदेशालय देहरादून एवं विकास आयुक्त (हथकरघा) भारत सरकार द्वारा नेशनल हैण्डलूम एक्सपो में लोगों का अच्छा उत्साह देखने को मिल रहा है। राष्ट्रीय हैण्डलूम प्रदर्शनी में 150 स्टॉलों में से उत्तराखण्ड के लगभग 45 स्टॉल लगाये गये हैं जिसमें कुछ स्टॉल उत्तराखण्डी अनाजों के स्टॉल हैं। जो भी पहाड़ी व्यंजनों का लुफ्त लेना चाहता है वह इस प्रदर्शनी में आकार अपनी इच्छा पूरी कर सकता है। इस प्रदर्शनी में आर्गेनिक उत्पादों में उड़द की दाल, राजमा, लोबिया, गहैत, काला भट्ट, लहसुन का अचार, मिर्च, शहद, गरम मसाले, धनिया, हल्दी, बिस्कुट और विशेष पहाड़ी मीठे व्यंजन उपलब्ध हैं।
रूद्रप्रयाग के रहने वाले दुकानकार राजेंन्द्र सिंह की अध्यक्षता में पहाड़ी अनाज के नाम का स्टॉल लगाया गया हैं जिसमें आपको हर प्रकार का अनाज, दालें, घर का बना अचार और कई अन्य व्यंजनों की विविधता मिलेगी। राजेंन्द्र सिंह ने बताया कि वे उत्तराखण्ड के हर क्षेत्र में जाकर तीन से पांच कुन्तल पहाड़ी अनाजों व दालों को लाते हैं फिर उनकी साफ-सफाई कर शहरी क्षेत्रों में बेचते हैं। उन्होंने कहा कि हम इन आर्गेनिक दालों को थोक मूल्यों पर बेचते है जिनकी कीमत 50 रूपये से लेकर 200 रूपये तक की है। मधुमेह में मदद करने वाले मंडुआ के आटे से बने बिस्कुट व नमकीन देहरादून वासियों को खूब पसंद आ रही है। उन्होंने कहा कि हमारे स्टॉल में मंडुआ, चावल, सोयाबीन और बाजरा जैसे विभिन्न प्रकार के आटे उपलब्ध हैं ये सभी घर में तैयार किया जाता है। उन्हांेने कहा कि उनके सभी उत्पादों और वस्तुओं को बहुत साफ और सुव्यवस्थित रूप से पैक किया जाता है, स्वच्छता उनकी प्राथमिकता रहती है, अगर कोई ग्राहक कभी भी कुछ संदिग्ध पाता है तो वह हमेशा उत्पाद लौटा सकते हैं और उसके बदले नया पैकेजिंग दिया जाता है। उन्हांेने कहा कि इन उत्पादों को बजारों में उतारने से पहले खुद इनका परीक्षण किया जाता है
राजेन्द्र सिंह का मानना है कि आज पहाड़ी फसलों को इन प्रदर्शनी के माध्यम से अधिक से अधिक पदोन्नत करने की आवश्यकता है क्योंकि खेती को वास्तव में अच्छी तरह से प्रोत्साहित नहीं किया जा रहा है और उनकी बिक्री उत्तराखंड की देवभूमि की प्रामाणिकता को बनाए रखने की एक कोशिश है।