पुरोला : वन अधिनियम के कारण रोशनी से वंचित मोरी ब्लॉक के पांच गांवों की बिजली की डोर अब अधिकारियों के हाथ में है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से इन गांवों के लिए गोविंद वन्यजीव विहार के संरक्षित क्षेत्र से होकर विद्युत लाइन बिछाने की सैद्धांतिक स्वीकृति तो मिल चुकी है। लेकिन, ऊर्जा निगम और वन विभाग के अधिकारी अब तक इसकी डीपीआर तैयार नहीं कर पाए हैं। ऐसे में मामला खिंचता जा रहा है। जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान का कहना है कि सुदूरवर्ती गांवों को रोशन करने के लिए ऊर्जा निगम और वन विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की गई। इसकी वे समय-समय पर समीक्षा भी करेंगे।
उत्तरकाशी जिले में पड़ने वाले गोविंद वन्यजीव विहार के 20 गांवों में आज तक बिजली नहीं पहुंची है। इनमें ओसला-गंगाड़ क्षेत्र के ओसला, गंगाड़, ढाटमीर, पवाणी व सिरगा गांव पहुंचने के लिए तो दस से 15 किलोमीटर की दूरी पैदल नापनी पड़ती है। संरक्षित वन क्षेत्र होने के कारण ये गांव विद्युत सुविधा से भी वंचित हैं। हालांकि, ग्रामीणों के लंबे संघर्ष के बाद अब केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से इन गांवों के लिए विद्युत लाइन बिछाने की अनुमति मिल चुकी है। लेकिन, इसके लिए डीपीआर अब तक तैयार नहीं हो पाई।
वहीं ऊर्जा निगम के एसडीओ वीके जैन का कहना है कि सैद्धांतिक स्वीकृति के बाद डीपीआर तैयार की जा रही है। इसके लिए वन विभाग के अधिकारियों के साथ साइट का निरीक्षण किया जाएगा।
एसडीएम ने की समीक्षा
पुरोला के एसडीएम पीएस राणा ने टोंस वन प्रभाग, गोविंद वन्यजीव विहार व ऊर्जा निगम के अधिकारियों के साथ बैठक कर जल्द डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए। साथ ही विद्युतीकरण से वंचित क्षेत्र के अन्य गांवों के लिए भी प्रस्ताव तैयार करने को कहा। बैठक में एसडीओ टोंस आरएन श्रीवास्तव, गोङ्क्षवद वन्यजीव विहार के एसडीओ हेमंत मैंदोला, अपर यमुना वन प्रभाग के एसडीओ जीपी ङ्क्षसह आदि उपस्थित थे।
क्षेत्र के बिजली से वंचित गांव
गोविंद वन्यजीव विहार: ओसला, गंगाड़, ढाटमीर, पवाणी, सिरगा, देवल, भितरी, उजेली, दोणी, मसरी, नुराणू, खंडियासणी, बरी, सेवा, हवाड़ी, खन्ना व ग्वालगांव।
टौंस वन प्रभाग: सुरणूसेरी, लुदराला, कुनारा, डामरी, थुनारा व सालरा।
अपर यमुना वन प्रभाग: सर, डंगाड़ी, लेवटाड़ी, पौंटी, गौल, छानिका व कसलौं।