देहरादून : नगर निकायों के सीमा विस्तार में ग्रामीण इलाकों को शहरी क्षेत्र का हिस्सा बनाए जाने के बाद 194 ग्राम पंचायतों का वजूद पूरी तरह खत्म हो गया है। इनमें सर्वाधिक मैदानी इलाकों की हैं। इसके साथ ही राज्य में ग्राम पंचायतों की संख्या 7954 से घटकर अब 7760 हो गई है। वहीं, निकायों के परिसीमन से प्रभावित शेष 54 ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन के लिए पंचायती राज महकमे ने कवायद प्रारंभ कर दी है। चमोली और बागेश्वर में यह कार्य पूर्ण कर दिया गया है।
सरकार ने राज्य के 92 में से 41 नगर निकायों का सीमा विस्तार किया था। कुल 248 ग्राम पंचायतों को संपूर्ण और आंशिक रूप से शहरों का हिस्सा बनाया गया। इनमें संपूर्ण रूप से निकायों का हिस्सा बनी 168 ग्राम पंचायतों का अस्तित्व पहले ही समाप्त हो गया था। संयुक्त निदेशक पंचायती राज डीपी देवराड़ी के मुताबिक आंशिक रूप से निकायों में सम्मिलित 80 ग्राम पंचायतों में से 26 का अस्तित्व भी खत्म कर दिया गया है।
देवराड़ी ने बताया कि 80 में से शेष 54 ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन के लिए जिलों में कवायद चल रही है और इस बारे में प्रस्ताव मांगे जा रहे हैं। चमोली और बागेश्वर जिलों से पुनर्गठन के प्रस्ताव आ चुके हैं, जबकि अन्य जिलों में यह प्रक्रिया चल रही है। इस माह इसके पूरा होने की उम्मीद है। परीक्षण के उपरांत पुनर्गठित ग्राम पंचायतों में वार्डों के परिसीमन समेत अन्य कदम उठाए जाएंगे।
व्यवहारिकता का रखेंगे ख्याल
निकायों के सीमा विस्तार से प्रभावित ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन में व्यवहारिकता का भी ख्याल रखा जाएगा। इस बात पर विचार चल रहा है कि जिन 54 ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन होना है, उनमें पर्वतीय क्षेत्र में 300 से 500 और मैदानी क्षेत्र में 800 से 1000 के बीच आबादी होने पर ग्राम पंचायत का दर्जा दे दिया जाएगा। मानक के अनुसार पहाड़ में ग्राम पंचायत की आबादी 500 और मैदानी क्षेत्र में 1000 होनी चाहिए।
समाप्त हुई ग्राम पंचायतें
जिला—————-संख्या
देहरादून————–59
पौड़ी——————37
नैनीताल————-32
ऊधमसिंहनगर——29
बागेश्वर————-10
चमोली—————08
पिथौरागढ़————06
उत्तरकाशी———–05
टिहरी—————–04
हरिद्वार————–02
रुद्रप्रयाग————–01
अल्मोड़ा—————01
चंपावत—————00