देहरादून: दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा के करीबी गुप्ता बंधु के ठिकानों पर आयकर विभाग की छापेमारी में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है। आयकर अधिकारियों को पता चला है कि गुप्ता बंधु ने अपनी तमाम संपत्तियों को लीज पर दिया है। यहां तक कि देहरादून में कर्जन रोड स्थित जिस आलीशान बंगले पर छापा मारा गया, उसकी लीज चार लोगों के नाम पर पाई गई है। यह बात किसी भी दशा में आयकर अफसरों के गले नहीं उतर रही कि अरबपति कारोबारियों को भी अपनी संपत्ति लीज पर देने की जरूरत पड़ रही है। अफसर मान रहे हैं कि यह सब कालेधन को सफेद करने के लिए किया गया है।
आयकर के प्रधान निदेशक (इन्वेस्टिगेशन) अमरेंद्र कुमार के निर्देशन में बुधवार देर रात तक भी छापे की कार्रवाई जारी रही। कर्जन रोड स्थित बंगले से कब्जे में लिए गए दस्तावेजों की जांच में पता चला कि गुप्ता बंधु की संपत्तियां लीज पर दी गई हैं। आयकर अधिकारियों के मुताबिक, जिन लोगों के नाम पर लीज दिखाई गई है, वह सिर्फ दिखावटी नाम हैं, जबकि संपत्तियों पर कब्जा गुप्ता बंधु का ही है।
यह सब इसलिए किया गया है कि अपनी अघोषित आय को लीज से प्राप्त आय के रूप में दिखाकर सफेद किया जा सके। अब आयकर उन लोगों की आय का विवरण जुटाने में लगा है, जिनके नाम पर लीज डीड बनाई गई है। ताकि उनकी आय के स्रोत पता लगाए जा सके। क्योंकि आयकर विभाग को इस बात के प्रमाण भी मिले हैं कि जिन लोगों के नाम पर करोड़ों रुपये के खर्चे व लेनदेन किए गए हैं, उनकी आय बड़े ट्रांजेक्शन से मेल नहीं खाती।
मुंबई से आए सीए दे रहे ट्रांजेक्शन का हिसाब
आयकर विभाग की छापेमारी के बाद गुप्ता बंधु की तरफ से मुंबई से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट इन्वेस्टिगेशन विंग के कार्यालय पहुंचे। आयकर टीम उनसे गुप्ता बंधु के ठिकाने से कब्जे में लिए गए ट्रांजेक्शन के रिकॉर्ड के बारे में जानकारी जुटा रही है। इसी क्रम में यह भी पता चला कि गुप्ता बंधु, उनके रिश्तेदार व उनके कारोबार से जुड़े लोगों ने अलग-अलग रिर्टन दाखिल किए हैं। अब इनकी भी पड़ताल शुरू कर दी गई है।
गुप्ता बंधु के भारत में होने का दावा
आयकर विभाग की जानकारी के अनुसार गुप्ता बंधु करीब एक सप्ताह पहले दुबई चले गए हैं। जबकि उनके सीए ने दावा किया कि वह भारत में ही हैं और जल्द वह आयकर अधिकारियों के समक्ष हाजिर होंगे।
रिर्टन में 3.5 करोड़ जी ज्वेलरी का उल्लेख
कर्जन रोड बंगले से आयकर विभाग को करीब 3.5 करोड़ रुपये की ज्वेलरी मिली थी। तब गुप्ता बंधु के बहनोई व बहन यह साबित नहीं कर पाए थे कि इसका उल्लेख उन्होंने वेल्थ रिटर्न में किया है। हालांकि सीए ने जो रिटर्न दिखाए, उसमें अधिकांश ज्वेलरी का जिक्र मिल गया।
26 हजार दिराम की तनख्वाह से कैसे दिए 25 करोड़
छापे के पहले दिन आयकर विभाग को गुप्ता बंधु के नौकर संजय ग्रोवर के नाम पर करीब 25 करोड़ रुपये का एक ट्रांजेक्शन मिला था, जबकि उनकी तनख्वाह महज 26 हजार दिराम (करीब 4.59 लाख रुपये) थी। यह जानकारी दिल्ली में संजय की पत्नी रेणू ग्रोवर ने आयकर अधिकारियों को दी। रेणू ने यह भी कहा कि इतनी तनख्वाह में गुप्ता बंधु के मंदिर निर्माण के लिए 25 करोड़ रुपये का डोनेशन देने का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि उनकी हैसियत इस लायक कभी थी ही नहीं।
वहीं, छापे के दूसरे दिन आयकर टीम को संजय ग्रोवर के कई और ट्रांजेक्शन की जानकारी भी मिली, जिसकी राशि करोड़ों रुपये में है। सभी ट्रांजेक्शन में चेक का प्रयोग किया गया है। प्रधान निदेशक अमरेंद्र कुमार के मुताबिक सबसे पहले यह पता लगाया जाएगा कि चेक किस बैंक से जारी किया गया है और फिर उसके आधार पर उन बैंक खातों का ब्योरा प्राप्त किया जाएगा, जहां यह राशि जमा की गई है।
इस आधार पर आयकर विभाग छह साल तक के ट्रांजेक्शन का ब्योरा जुटा सकता है। घरेलू खाते के ट्रांजेक्शन में यह छानबीन की अधिकतम अवधि भी है। यह जानकारी प्राप्त हो जाने के बाद यह भी पता लग जाएगा कि इनका खर्च आगे किस रूप में किया गया है।