कई दिग्गजों को टिकट की दावेदारी में पीछे छोड़ते हुए बलूनी ने बाजी मारी

देहरादून: भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी का बगैर किसी चुनौती के निर्विरोध राज्यसभा पहुंचना तो तय हो गया। मगर भविष्य में बतौर सांसद राह में बड़ी चुनौतियां उनका इंतजार कर रही हैं। कई दिग्गजों को टिकट की दावेदारी में पीछे छोड़ते हुए बलूनी ने बाजी मारी और अब इन सबको उन्हें साथ लेकर चलना होगा। यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नजदीकी होने के कारण उन्हें प्रदेश की भाजपा सरकार और केंद्र के मध्य सेतु की भूमिका भी निभानी होगी। बतौर राज्यसभा सदस्य जन अपेक्षाओं से जुड़ी जिम्मेदारियां तो इनके अलावा हैं ही।

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव लड़ने के लगभग डेढ़ दशक बाद अनिल बलूनी यहीं से राज्यसभा का रास्ता तय करने जा रहे हैं। हालांकि इस एक सीट के लिए भाजपा में कई कद्दावर नेता दावेदारों की कतार में शामिल थे। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व सांसद विजय बहुगुणा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव तीरथ सिंह रावत मुख्य थे। इनके अलावा केंद्रीय संगठन के कुछ दिग्गजों को भी दावेदारी में शुमार किया जा रहा था। इस सबके बावजूद बलूनी पर आलाकमान ने भरोसा जताया तो अब उन्हें भी इन सभी वरिष्ठ नेताओं को साथ लेकर चलने की चुनौती को स्वीकारना होगा।

यह बलूनी की केंद्रीय नेताओं से करीबी ही रही कि पिछले विधानसभा चुनाव में केंद्रीय नेतृत्व को बलूनी का ही फीडबैक अहम लगा था। अब जबकि, बलूनी का राज्यसभा जाना तय हो गया है तो केंद्र और राज्य के मध्य संतुलन साधने की जिम्मेदार उन्हें उठानी होगी। इस स्थिति में जाहिर है कि उत्तराखंड से जुड़े मामलों में उनकी राय अहम रहेगी।

यही नहीं, पार्टी संगठन में उन्होंने बतौर राष्ट्रीय प्रवक्ता और राष्ट्रीय मीडिया समन्वयक के तौर पर जो छवि बनाई है, उसे भी बरकरार रखना होगा। पिछले सत्रह सालों का तजुर्बा रहा है कि राज्यसभा में उत्तराखंड से निर्वाचित सांसदों की आवाज कभीकभार ही सुनाई देती है। इस लिहाज से देखें तो बलूनी ने पहाड़ को न सिर्फ करीब से देखा है, बल्कि वे यहां की समस्याओं से भलीभांति वाकिफ भी हैं। ऐसे में जनता की उनसे अपेक्षाएं अधिक हैं कि वे उनकी आवाज को राज्यसभा में बुलंद करेंगे।

राज्यसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का उत्तराखंड से विशेष लगाव है। प्रधानमंत्री की टीम में तमाम लोग उत्तराखंड से हैं। इसी के तहत मुझे भी राज्यसभा के लिए मौका दिया गया है। राज्य के हितों और विकास के लिए जो भी होगा करूंगा। समन्वयक के रूप में भी कार्य करूंगा।

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