देहरादून: भारतीय सेना की शान मेन बैटल टैंक टी-72 को 45 साल बाद नई नजर मिलेगी। नजर भी ऐसी, जो न सिर्फ पहले से करीब साढ़े आठ गुना तेज होगी, बल्कि रात के घुप्प अंधकार में भी दुश्मन को ढूंढ निकालेगी। यह संभव हो पाया है देहरादून स्थित ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड ऑप्टो इलेक्ट्रॉनिक्स फैक्ट्री (ओएलएफ) की बदौलत। ओएलएफ ने टी-72 के लिए कमांडर थर्मल इमेजर कम डे साइट को डेवलप किया है। इससे टैंक से अब रात में भी देखा जा सकता है, जबकि पहले टैंक में दिन में ही देखने की क्षमता थी। फैक्ट्री ने भारतीय सेना के लिए 300 साइट बनाने का काम शुरू भी कर दिया है।
ओएलएफ के महाप्रबंधक संजीव कुमार के मुताबिक पहले टैंक की क्षमता दिन में महज 700 मीटर की दूरी तक देखने व मार करने की थी। अब कमांडर थर्मल इमेजर कम डे साइट से रात में भी 5.6 किलोमीटर की दूरी तक हर हलचल का पता लगाया जा सकता है। जबकि, 2.8 किलोमीटर की दूरी तक टागरेट की स्पष्ट पहचान कर 1.8 किलोमीटर की दूरी तक उसे सटीक रूप से शूट भी किया जा सकता है। इस क्षमता को मार्क-2 तकनीक से और पैना करने की तैयारी भी शुरू कर दी गई है। इसके बाद टैंक अधिकतम छह किलोमीटर की दूरी तक किसी भी हलचल को पकड़ लेगा। साथ ही दुश्मन की पहचान करने की क्षमता तीन किलोमीटर व शूट करने की क्षमता दो किलोमीटर तक बढ़ जाएगी।
मेक इन इंडिया को मिला बल
टी-72 की इस थर्मल इमेजर साइट की आर-एंड-डी (अनुसंधान एवं विकास) ओएलएफ ने खुद की है। इस तरह मेक इन इंडिया की तरफ भी फैक्ट्री ने मजबूत कदम बढ़ाया है।
माइनस 20 डिग्री में भी उपयुक्त
टी-72 की कमांडर थर्मल इमेजर कम डे साइट का परीक्षण जब लेह में माइनस 20 डिग्री सेंटीग्रेड में किया गया तो यह बखूबी काम करती पाई गई। जबकि, माइनस डिग्री के तापमान में सामान्य साइट धुंधली पड़ जाती है। इसके साथ ही 55 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी साइट की क्षमता में कोई कमी नजर नहीं आई।