इस बार बैशाख महीना तीस दिन के बजाय 60 दिनों का

हरिद्वार : सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने के साथ ही बैशाखी का स्नान भी शुरू हो गया। इस बार ऐसा संयोग बना कि बैशाख महीना तीस दिन के बजाय 60 दिनों का है।

ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शर्मा शास्त्री और पंडित उदय आचार्य के मुताबिक बैशाख का पहला महीना 30 मार्च से शुरू हो चुका है जो 28 अप्रैल तक चलेगा। वहीं दूसरा महीना 29 अप्रैल से 28 मई तक चलेगा। बैशाख माह में सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने के साथ ही गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व है।
माना जाता है कि इस दिन पापमोचनी गंगा में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन दान दक्षिणा करने का भी खास महत्व बताया गया।

खेती से जुड़ा से बैशाख पर्व

सिखों का प्रमुख त्योहार बैशाखी शनिवार को धूमधाम से मनाया जा रहा है। बैसाखी को मेष संक्रांति भी कहते हैं। क्योंकि इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। यह त्योहार खास तौर से खेती से जुड़ा हुआ है। क्योंकि बैशाखी का त्योहार फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है। मान्यता है, बैशाखी के बाद ही गेहूं की फसल की कटाई शुरू होती है और इसके बाद से नए साल की शुरूआत होती है।
खालसा पंथ की हुई थी स्थापना

एक अन्य मान्यता के अनुसार वैशाख की षष्ठी तिथि को ही खालसा पंथ की स्थापना की गई थी। गुरु गोविंद सिंह ने सामाजिक भेदभाव को खत्म करने के लिए इस दिन अपने पंच प्यारों के हाथ से अमृत पीकर सिंह की उपाधी धारण की थी।

इसके बाद ही सिखों के लिए केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण धारण करना जरूरी किया था। सिखों के लिए इस त्योहार का खास महत्व है, क्योंकि सिख इसे सामूहिक जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं।
बताया जाता है कि 40 सिक्ख लड़ाके गुरू गोविंद का साथ छोड़कर चले गए थे। बाद में वापस आकर उन्होंने दुश्मनों से लड़कर उन्हें हराया। लड़ाई खत्म होने के बाद उन्होंने गुरु से माफी मांगी। गुरु ने उन्हें माफ कर अमृत प्रसाद चखाया था। इसकी याद में बैशाखी मनाई जाती है।

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