देहरादून: प्रदेश के 22 लाख बिजली उपभोक्ताओं को इस तिमाही (अप्रैल से जून) में फ्यूजचार्ज से राहत रहेगी। पिछले वित्तीय वर्ष में चारों तिमाही में फ्यूलचार्ज निकला था, जिससे बिजली दरों में इजाफा हुआ था।
दरअसल, राज्य की जलविद्युत परियोजनाओं से उत्पादित बिजली से राज्य की मांग पूरी नहीं होती। ऐसे में उत्तराखंड पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) केंद्रीय पूल व अन्य स्रोतों से बिजली लेता है। यह बिजली कोयले और गैस से उत्पादित होती है।
यूईआरसी कोयले और गैस की बिजली के लिए धनराशि की स्वीकृति देता है। कई बार कोयले और गैस के दामों में उछाल के चलते बिल निर्धारित धनराशि से अधिक बनता है। यह बिल हर तिमाही में बनता है और अगर फ्यूलचार्ज निकलता है तो अगली तिमाही में इसकी वसूली होती है।
जनवरी से मार्च तक की तिमाही में कोई फ्यूलचार्ज नहीं बना है। इसका बड़ा कारण ये भी है कि ऊर्जा निगम पिछले तीन-चार महीने से गैस आधारित उन परियोजनाओं से बिजली नहीं ले रहा था, जिनसे लंबी अवधि का करार हुआ था। क्योंकि, बाजार में गैस के दाम काफी बढ़ गए थे। हालांकि, अप्रैल से गैस के दाम कम होने पर उक्त परियोजनाओं से बिजली ली जा रही है।
वित्तीय वर्ष 2017-18 में फ्यूल चार्ज
तिमाही————-औसत फ्यूल चार्ज
अप्रैल से जून—– चार पैसे प्रतियूनिट
जुलाई से सितंबर— दस पैसे प्रतियूनिट
अक्टूबर से दिसंबर— 13 पैसे प्रतियूनिट
जनवरी से मार्च——– सात पैसे प्रतियूनिट