15 लाख रुपये पैकेज वाली नौकरी को छोड़ प्रमोद चला रहे स्वच्छता अभियान

गोपेश्वर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान से प्रेरित होकर पौड़ी गढ़वाल जिले के युवक प्रमोद बमराड़ा इन दिनों बदरीनाथ यात्रा मार्ग पर कस्बों में स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं। इस अभियान के लिए उन्होंने मल्टीनेशनल कंपनी की सालाना 15 लाख रुपये पैकेज वाली नौकरी को तिलांजलि तक दे दी। अब वह प्रशासन व नगर पालिका के सहयोग से यात्रा मार्ग पर दुकानों के आगे कूड़ादान रखने के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं।

पौड़ी जिले के ग्राम सांपला (देहलचौरी) निवासी 36 वर्षीय प्रमोद बमराड़ा ने ईआइआइएलएम (ईस्टर्न इंस्टीट्यूट फॉर इंटीग्रेटेड लर्निंग स्कूल ऑफ मैनेजमेंट) दिल्ली से एमबीए किया। इसके बाद सात साल तक वह अमेरिका की मेट्रो डिजाइन करने वाली कंपनी ऐकाम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में बतौर असिस्टेंट मैनेजर कार्यरत रहे। लेकिन, सवा लाख का मासिक सेलरी पैकेज (सालाना 15 लाख) भी उनके मातृभूमि के प्रति लगाव को कम नहीं कर पाया। प्रमोद अक्सर साथियों के बीच उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों की सुंदरता और स्वच्छता की चर्चा किया करते थे। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान से जुड़ी एक घटना ने प्रमोद के जीवन की धारा ही बदल डाली। दरअसल, अक्टूबर 2017 में प्रमोद अपने साथियों के साथ बदरीनाथ यात्रा पर आए। इस दौरान यात्रा मार्ग पर कई जगह कूड़े के ढेर देख साथियों ने उन पर ताने कसे। यह बात प्रमोद के मन में घर कर गई और उन्होंने वापस दिल्ली लौटकर स्वच्छता के लिए कुछ करने की ठानी। यहीं से शुरू हुआ प्रमोद का यह अभियान।

दुकानदार व ग्राहकों को कर रहे जागरूक
अभियान के पहले चरण में प्रमोद ने बदरीनाथ-केदारनाथ यात्रा मार्ग के कस्बों में स्वच्छता जागरूकता की पहल की है। इसके तहत उन्होंने दुकानों में जाकर कूड़ेदान रखने और ग्राहकों से कूड़ा इनमें डालने के लिए जागरूक किया। साथ ही स्थानीय प्रशासन व नगर पालिका से भी अभियान में सहयोग का आग्रह किया। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने उनके इस अभियान को जिला पंचायत व नगर पालिका क्षेत्र में अनिवार्य करते हुए इस बाबत पत्र भी लिखा है।

खुद खरीदकर देते हैं कूड़ादान
प्रमोद अब चमोली में अपने संसाधनों से स्वच्छता अभियान चला रहे हैं। अगर कोई व्यापारी कूड़ादान खरीदने में असमर्थता जताता है तो प्रमोद उसे स्वयं कूड़ादान खरीदकर देते हैं। साथ ही उस कूड़ादान को दूसरे दिन देखने भी आते हैं कि उसमें जमा कूड़ा डंपिग यार्ड में डाला गया अथवा सड़क पर। यही नहीं, प्रमोद इस कूड़ेदान को पालिका के कूड़ेदान तक भी ले जाते हैं। ऐसे में संबंधित व्यवसायी यह कार्य स्वयं करने को विवश हो जाता है।

अभियान को चुना
इस अभियान के चलते प्रमोद की नौकरी भी चली गई। ऐकाम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के बेस्ट एंपल्वॉय के खिताब से नवाजे गए प्रमोद का कहना है कि उन्हें अभियान और नौकरी में से एक का चयन करना पड़ा। लिहाजा उन्होंने नौकरी से इस्तीफा देना ही उचित समझा। उन्होंने चमोली जिला प्रशासन व नगर पालिका से भी अभियान में सहयोग के लिए मदद मांगी है।

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