देहरादून: उत्तराखंड में नियमों को ताक पर रखकर सिडकुल में करोड़ों की धांधली के मामले को लेकर शिकंजे में फंसे उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) को झटका लगा है। बीते पांच वर्षों में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण और समाज कल्याण विभाग में बतौर कार्यदायी एजेंसी 53 करोड़ से अधिक वित्तीय गड़बडिय़ां कीं। योजनाओं को दी गई धनराशि पर 1.26 करोड़ से ज्यादा ब्याज के रूप में प्राप्त धनराशि सरकार को वापस नहीं की गई। वहीं बगैर ठेकेदार निर्माण निगम पद्धति से कराए गए कार्यों पर कॉंट्रेक्टर प्रॉफिट की 23.56 करोड़ की राशि का समायोजित नहीं कराई गई।
सरकार की ओर से कराए गए ऑडिट में यूपीआरएनएन के कार्यों में धांधली पकड़ी गई है। एमडीडीए में बीते पांच वर्षों में निर्माण कार्यों के लिए धनराशि पर यूपीआरएनएन को 119.68 लाख रुपये ब्याज मिला, लेकिन इस राशि को महकमे को वापस नहीं कर सरकार के राजस्व को चूना लगाया गया। इसीतरह बगैर ठेकेदार के निर्माण निगम पद्धति से कराए गए कार्यों पर कॉंट्रेक्टर प्रॉफिट 22.81 करोड़ से ज्यादा धनराशि का समायोजन नहीं कराया गया। इसीतरह जो परियोजनाएं पूरी या समाप्त हो गईं, उनकी अवशेष धनराशि 29.12 लाख को वापस नहीं किया गया। निगम ने इस्टीमेट की मदों में निर्धारित से अधिक कार्य करा डाले। इससे 91.36 लाख अधिक खर्च हुआ। सेंटेज के रूप में एमडीडीए निधि से 20.68 करोड़ से अधिक धनराशि खर्च की गई।
समाज कल्याण में 7.46 करोड़ की धांधली
यूपीआरएनएन ने इसीतरह समाज कल्याण विभाग में भी निर्माण कार्यों की धनराशि पर ब्याज के रूप में प्राप्त 16.37 लाख रुपये नहीं लौटाए और कॉंट्रेक्टर प्रॉफिट के 75.44 लाख रुपये का समायोजन नहीं किया गया। वहीं संबंधित विभाग ने भी निगम से टीडीएस कटौती नहीं की, इससे 4.98 लाख राजस्व की हानि सरकार को उठानी पड़ी है। उत्तराखंड प्रोक्योरमेंट नियमावली के प्रावधानों का उल्लंघन का 511 लाख की परियोजनाएं यूपीआरएनएन ने क्रियान्वित की हैं। इसीतरह तकनीकी स्वीकृति के बगैर ही 141.86 लाख की निर्माण परियोजनाओं को क्रियान्वित किया गया।