रुद्रप्रयाग: जून 2013 की आपदा के बाद से केदारघाटी में हेलीपैड बनाने का उद्योग काफी फूल-फल रहा है। घाटी में अब तक 14 हेलीपैड बन चुके हैं, जबकि ऊखीमठ समेत दो स्थानों पर कार्य जारी है। वहीं, सरकार ने भी आपदा के बाद केदारघाटी में हेलीपैड का जाल बिछा दिया है। सोनप्रयाग में बनने वाली बहुमंजिला पार्किंग के ऊपर भी हेलीपैड का निर्माण किया जाएगा। ताकि आपदा जैसे हालात में रेस्क्यू करना आसान रहे।
केदारनाथ के लिए हेली सेवाओं के बढ़ते क्रेज को देखते हुए स्थानीय लोगों ने गुप्तकाशी से लेकर सोनप्रयाग तक बड़ी संख्या में हेलीपैड बनाए हैं और यह सिलसिला अब भी जारी है। दरअसल, आपदा के बाद बने नए पैदल मार्ग से केदारनाथ की दूरी न केवल दो किमी बढ़ गई है, बल्कि चढ़ाई तीखी भी हो गई। ऐसे में ज्यादातर यात्री हेली सेवा से केदारनाथ जाने को ही तवज्जो दे रहे हैं। साथ ही हेलीपैड बनाने से स्थानीय लोगों की अच्छी-खासी आमदनी भी हो रही है। इसलिए वो अपनी जमीनों पर हेलीपैड बना रहे हैं।
कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती सरकार
जून 2013 में हुई भीषण त्रासदी के दौरान शासन-प्रशासन को रेस्क्यू करने में खासी दिक्कतें झेलनी पड़ी थी। हेलीपैड का अभाव और संकरी केदारघाटी के चलते केदारनाथ में सेना को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। भविष्य में ऐसे ही हालात से निपटने के लिए प्रशासन अपनी तैयारियां में कोई कमी नहीं रखना चाहता। इसलिए सरकार ने केदारनाथ पैदल मार्ग पर भी हेलीपैड का निर्माण किया है। जबकि, सोनप्रयाग में बहुमंजिला पार्किंग के ऊपर भी हेलीपैड बनाया जा रहा है।
यहां बनाए हैं सरकार ने हेलीपैड
सोनप्रयाग, जंगलचट्टी, भीमबली, गौरीकुंड, लिनचोली व केदारनाथ। सोनप्रयाग व ऊखीमठ में प्रस्तावित।
जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि हेलीपैड बनाने से पहले शासन की अनुमति जरूरी है। एक हेलीपैड की अनुमति शासन से आई है, जबकि सोनप्रयाग में रेस्क्यू की दृष्टि से हेलीपैड बनाया जा रहा है। पूर्व में जो हेलीपैड बने हैं, उनके लिए तब शासन से अनुमति की जरूरत नहीं थी।