नई दिल्ली । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक गतिरोध को खत्म करते हुए राज्यपाल शासन को मंजूरी दे दी है। भाजपा ने मंगलवार को महबूबा मुफ्ती सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद सदन में बहुमत खो चुकी महबूबा मुफ्ती ने अपना इस्तीफा राज्यपाल एनएन वोहरा को सौंप दिया। उधर, मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस लिए जाने के बाद केंद्र की भाजपा सरकार अब गठबंधन के नैतिक दबाव से मुक्त हो गई है। इस राजनीतिक घटनाक्रम से आतंकवादियों के खेमे में खलबली है। आतंकी संगठनों को यह भय सता रहा है कि केंद्र आतंक के खिलाफ कार्रवाई तेज कर सकता है। इस प्रकार के संकेत केंद्र सरकार पहले कर चुकी है
बता दें कि राज्य में 1977 के बाद आठवीं बार और पिछले 10 सालों में चौथी बार राज्यपाल शासन का हरी झंडी मिल गई है। राज्यपाल ने राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट भेजते हुए राज्य संविधान के अनुच्छेद 92 के तहत राज्यपाल शासन लागू करने की सिफारिश की है।
..आगे क्या रहेगी मोदी सरकार की रणनीति
-आतंकवाद व हिंसा से सख्ती से निपटा जाएगा। ऑपरेशन ऑल आउट की फिर शुरू हो चुका है।
– सीमापार से फायरिंग का करारा जवाब दिया जाएगा।
– राज्यपाल शासन में जम्मू-कश्मीर में केंद्र की विकासवादी नीतियों पर तेजी से अमल।
– अमरनाथ यात्रा को शांतिपूर्वक संपन्न कराने के बाद सौहार्द व विश्वास बढ़ाने के उपाय होंगे।
– हालात सुधरने पर वार्ता प्रक्रिया शुरू कर स्थाई समाधान निकालने का प्रयास
1 मार्च 2015 को बनी थी गठबंधन सरकार
दिसंबर, 2014 में हुए जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद एक मार्च, 2015 को गठबंधन सरकार बनी थी। तब मुफ्ती मुहम्मद सईद ने 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। 7 जनवरी, 2016 को उनका निधन हो गया। इसके बाद 4 अप्रैल को महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बनी थीं।
राम माधव ने किया एलान पीडीपी से नाता तोड़ने का एलान भाजपा महासचिव व जम्मू-कश्मीर के प्रभारी राम माधव ने किया। इससे पहले पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को राज्य के सभी भाजपाई मंत्रियों की दिल्ली में आपात बैठक कर सियासी हालात की समीक्षा की थी। फिर पीएम नरेंद्र मोदी की सहमति से घोषषणा की गई।
बाहुबल की नीति संभव नहीं : महबूबा महबूबा ने कहा, ‘हमने ब़़डे विजन के साथ ब़़डी पार्टी भाजपा से गठबंधन किया था। तीन साल तक अनुच्छेद 370 और 35 ए को बचाए रखा। राज्य के 11 हजार नौजवानों के खिलाफ केस वापस लिया। कश्मीर में बाहुबल की नीति संभव नहीं है। हमारी कोशिशों के कारण संघषर्ष विराम हुआ था। हम पाक व राज्य के लोगों से चर्चा के पक्ष में हैं।’
विकास पैकेज का सिर्फ 22 फीसदी खर्च किया
पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्य के लिए 80 हजार करोड़ रुपए का विकास पैकेज दिया। महबूबा सरकार ने इसमें से मात्र 22 फीसदी इस्तेमाल किया। इससे केंद्र सरकार व भाजपा हाईकमान भी नाराज था। भाजपा चाहती थी कि राज्य में विकास सरकार की पहचान बने। विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए घाटी में छह हजार फ्लैट बनाने के लिए 115 करोड़ रुपए इस्तेमाल नहीं किए हैं।
कश्मीर विस की स्थिति
– कुल सदस्य संख्या 87
– बहुमत के लिए जरूरी 44
– पीडीपी 28
– भाजपा 25
– नेशनल कांफ्रेंस 15
– कांग्रेस 12
– अन्य 07
जल्द से जल्द चुनाव हों
‘हम किसी दल के साथ गठबंधन सरकार बनाने के पक्ष में नहीं हैं। राज्यपाल शासन लागू कर राज्य में हालात सुधारे जाएं और जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएं। -उमर अब्दुल्ला, नेकां
राज्य को आग में झोंका
अवसरवादी भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार ने जम्मू–कश्मीर को आग में झोंक दिया। राज्यपाल शासन के दौरान भी नुकसान जारी रहेगा। -राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष