देहरादून: गैरसैंण के पास रामगंगा नदी पर 1614 मीटर की ऊंचाई पर करीब 700 मीटर लंबी झील बनाई जाएगी। झील निर्माण को लेकर उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) निदेशक डॉ. प्रताप सिंह बिष्ट ने सिंचाई विभाग की टीम के साथ रविवार को नदी क्षेत्र का भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया। नदी के अपर कैचमेंट एरिया को झील निर्माण के लिए उपयुक्त पाया गया है।
डॉ. पीएस बिष्ट के मुताबिक यह झील रामगंगा नदी के अपर कैंचमेंट एरिया में नैल व सल्याण गांव के मध्य बनाई जाएगी। इस क्षेत्र में एक्यूफर रॉक्स पाई गई हैं, जो कि पानी को रोकने में पूरी तरह सक्षम होती है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में करीब 700 मीटर लंबी व 25 मीटर तक चौड़ी झील बनाए जाने की संभावना पाई गई है। यहां के भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार झील की गहराई सात मीटर तक हो सकती है।
झील का निर्माण का जिम्मा सिंचाई खंड थराली को सौंपा गया है, जबकि इसकी डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) इरिगेशन डिजायन ऑर्गेनाइजशन, रुड़की बना रहा है। डीपीआर तैयार होते ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण में सिंचाई खंड के अधिशासी अभियंता वीके मौर्य, डी त्रिपाठी आदि शामिल रहे। इसलिए जरूरी है झील निर्माण रामगंगा मौसमी नदी है और गर्मियों में इसका जलस्तर काफी कम हो जाता है। यूसैक निदेशक डॉ. बिष्ट के अनुसार झील बन जाने से निचले हिस्सों में भूजल रीचार्ज होता रहेगा और नदी का प्राकृतिक प्रवाह भी बढ़ जाएगा।
गैरसैण व आसपास के इलाकों में पानी की बेहद किल्लत रहती है। यहां तक कि लोगों को 20 रुपये कनस्तर की दर से पानी खरीदने को विवश होना पड़ताल है। झील के निर्माण के बाद पेयजल संबंधी जरूरत की पूर्ति भी हो पाएगी। रामगंगा नदी क्षेत्र में नमी बढ़ जाएगी और इससे हरियाली को बढ़ावा मिलेगा। झील निर्माण के बाद यहां वाटर स्पोर्ट्स की गतिविधियों को भी संचालित किया जा सकेगा और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।