रुड़की: आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) रुड़की की एक टीम ने दोपहिया वाहन चालकों की सुरक्षा के लिए इन्फ्लेटेबल एयरबैग हेलमेट का विकास किया है। इस हेलमेट को आप मोड़कर वाहन में रख सकते हैं और थोड़ी गैस भरकर स्पेस में खोल सकते हैं। इन्फ्लेटेबल हेलमेट का कॉन्सेप्ट इन्फ्लेटेबल स्पेस स्ट्रक्चर से लिया गया है, जो कम कीमत में कई स्पेस एप्लीकेशन के लिए उपयुक्त होते हैं।
इस हेलमेट की विशेषता यह है कि इसे गर्दन में पहना जा सकता है। ये कॉलर की तरह मुड़े होते हैं। इस डिवाइस में लगे सेंसर इम्पेक्ट या टक्कर की स्थिति को भांपने में सक्षम हैं। इम्पेक्ट की स्थिति उत्पन्न होने पर हेलमेट फूलकर क्रेनियम के लिए कुशन का घेरा बना लेते हैं। सिर तक पहुंचने वाले इम्पेक्ट और रफ्तार कम करने में यह कुशन अधिक कारगर हैं।
इस हेलमेट का विकास आइआइटी रुड़की के बीटेक (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) के छात्र सारंग नागवंशी, मोहित सिद्धा और राजवर्धन सिंह ने मिलकर किया, जबकि टीम का मार्गदर्शन संस्थान के मैकेनिकल एवं इंडस्ट्रीयल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. संजय उपाध्याय ने किया।
प्रो. उपाध्याय ने बताया कि प्रोडक्ट के प्रभावीपन और व्यावहारिक उपयोग के मद्देनजर तैयार कॉन्सेप्ट और परीक्षण के सफल परिणाम मिले हैं। हालांकि, इसे बड़े पैमाने पर तैयार करने के लिए अधिक बारीकी से देखना होगा और इंडस्ट्री के सहयोग की भी आवश्यकता पड़ेगी। ताकि उद्योग जगत से साझेदारी कर इस प्रोडक्ट को किफायती और उपभोक्ताओं के लिए सुविधाजनक बनाया जा सके।
छात्र सारंग नागवंशी के अनुसार इसरो में इंटर्नशिप के दौरान इन्फ्लेटेबल स्पेस एंटीना पर काम करते हुए उन्हें इन्फ्लेटेबल हेलमेट बनाने का विचार आया। संस्थान की टीम ने गणित के मॉडलों पर परीक्षण की मानक स्थिति में हेलमेट पर चोट संबंधी परीक्षण किए। पता चला कि यह हेलमेट टक्कर के बाद वाहन के पीक एक्सीलेरेशन कई गुना कम करने में कामयाब है। टक्कर से डमी हेड पर लगने वाला फोर्स आम हेलमेट की तुलना में चार गुना कम होता है। इन्फ्लेटेबल एयरबैग हेलमेट से सिर के जख्मी होने का खतरा बहुत कम हो जाता है।