देहरादून: उत्तराखंड में एक बार फिर बादल फटने से भारी नुकसान हुआ है। चमोली जिले के घाट और थराली तहसील के इलाके इसकी चपेट में आए। आधी रात के बाद एकाएक गांव के पास बहने वाले बरसाती नदियों की गड़गड़ाहट से ग्रामीणों की नींद खुली तो वे जान बचाकर भागे। नदी-नालों के उफान में करीब एक दर्जन दुकानें, 15 मकान और सात कारें और तीन बाइक बह गए। इसके अलावा 16 मवेशी भी जिंदा दफन हो गए हैं। प्रशासन के साथ ही एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम मौके पर राहत कार्य कर रही हैं। कुल 17 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
घाट और थराली जिला मुख्यालय गोपेश्वर से क्रमश: 40 और 105 किलोमीटर दूर हैं। बताया जा रहा है कि देर रात ढाई से तीन बजे के बीच घाट तहसील के कुंडा सेरा गांव के पास बहने वाला बरसाती नदी से गड़गड़ाहट का की आवाज सुनाई दी। ग्रामीण घर से बाहर निकले तो दृश्य भयावह था। नाले में बड़े-बड़े पत्थरों के साथ मलबा बह रहा था। आनन-फानन ग्रामीण सुरक्षित स्थान की ओर भागे। कुंडा सेरा गांव के पांच मकानों में मलबा घुस गया, जबकि पड़ोस के मोखल्ला गांव में भी 10 मकानों को नुकसान पहुंचा है।
दूसरा मामला थराली तहसील के ढाढरबगड़ का है। स्थानीय निवासी कैलाश ने बताया कि प्राणमति नदी के तट पर बसा ढाढरबगड़ दो दर्जन गांवों का बाजार है। बताया कि आधी रात को भारी बारिश के दौरान उफनती नदी से मानो जलप्रलय आ गई। उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा अभिकरण (उरेडा) की जलविद्युत परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा एक मोटर पुल एवं तीन पैदल पुल भी बाढ़ की भेंट चढ़ गए। कैलाश के परिजनों ने ही घटना की सूचना आपदा नियंत्रण कक्ष को दी। नदी के उफान में एक दर्जन दुकानों के साथ ही सड़क किनारे खड़े 10 वाहन बह गए। चमोली के जिलाधिकारी आशीष जोशी ने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य चल रहा है। आपदा पीडि़तों को सुरक्षित स्थानों पर ठहराया गया है। उन्होंने कहा कि टीम के लौटने पर ही वास्तविक क्षति का पता चल पाएगा।
बज्रपात से दो झुलसे
रुद्रप्रयाग जिले के उच्च हिमालय में स्थित ऊखीमठ ब्लाक के बुरुवा गांव से 22 किलोमीटर दूर बिसुड़ी ताल में बज्रपात से 250 से ज्यादा बकरियों की मौत हो गई। इसके साथ ही दो भेड़ पालक भी झुलसे हैं। प्रशासन और वन विभाग की टीम मौके लिए रवाना हुई है। घटना रविवार देर रात की बताई जा रही है। दूसरी ओर ऊखीमठ ब्लाक के ही भादड़ी क्षेत्र में अतिवृष्टि से दो सौ भेड़-बकरियों के मरने के समाचार हैं।
चार धाम मार्गों पर मलबा
पहाड़ों पर लगातार बारिश के चलते भूस्खलन का सिलसिला जारी है। इसके कारण सुबह गंगोत्री हाईवे पांच और बदरीनाथ हाईवे चार स्थानों पर बंद हो गया। हालांकि दोनों मार्गों से मलबा हटाकर दोपहर तक यातायात सुचारु कर दिया गया। केदारनाथ हाईवे भी दो स्थानों पर मलबा आने से करीब एक घंटे बंद रहा। दूसरी ओर पिथौरागढ़ के तल्ला जौहार क्षेत्र में थल-मुनस्यारी मार्ग पर भी मलबा आने से आठ घंटे आवाजाही ठप रही। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 72 मार्ग अब भी बंद हैं।
नदियां उफान पर
उत्तराखंड में बारिश से नदियां उफान पर हैं। काली, गोरी, सरयू, अलकनंदा, भागीरथी, अलकनंदा और मंदाकिनी के साथ ही नंदाकिनी और पिंडर का वेग लोगों में दहशत पैदा कर रहा है। हालांकि सभी नदियां खतरे के निशान से दूर हैं।
छह जिलों में भारी बारिश की चेतावनी
मौसम के मिजाज फिलहाल नरम पड़ने के आसार नहीं हैं। राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि मंगलवार को पौड़ी, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर और पिथौरागढ़ में भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है।