नैनबाग: बद्री नदी पर बना लकड़ी का अस्थायी पुल टूटने से छात्र-छात्राएं जान हथेली पर रखकर नदी पार कर रहे हैं। छात्रों को नदी पार कराने के लिए अभिभावकों की ड्यूटी लगी है। अभिभावक किसी तरह बच्चों को नदी पार करा रहे हैं। बीती बुधवार नदी पार कराते समय डर के कारण एक छात्रा बेहोश हो गई।
तहसील नैनबाग के अंतर्गत बद्री नदी में आपदा के दौरान वर्ष 2013 में नदी पर बने तीन पुल बह गए थे। इससे मुख्य पैदल मार्ग व पुल पर जनता व स्कूली बच्चों की आवाजाही पूरी तरह से ठप हो गई। क्षेत्र के जनप्रतिनिधि व ग्रामीण लगातार नदी पर पुल बनाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। वर्ष 2013-14 में शासन प्रशासन ने बमणगांव के बद्री नदी पर एक अस्थाई लकड़ी का पुल बनाया था, जोकि गत दिन भारी बारिश से क्षतिग्रस्त हो गया। इस पुल से ग्राम बमणगांव, खासकोटी, घियाकोटी, सेन्दूल, श्रीकोट, कोट, भटवाड़ी साहित आदि गांव का आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया।
सबसे ज्यादा परेशानी राजकीय इंटर कालेज श्रीकोट जाने वाले लगभग 40 से अधिक छात्र-छात्राओं को हो रही है। नदी के उफान पर होने से छात्रों का स्कूल जाना दूभर हो गया है। कई बार तो बच्चे स्कूल भी नहीं जा पा रहे हैं। यहां प्रत्येक दिन स्कूल भेजने व छुट्टी के समय अभिभावकों की ड्यूटी लगी है। अभिभावक किसी तरह से छात्रों को नदी पार करवा रहे हैं।
स्थानीय अभिभावक मोहन लाल नौटियाल, सोवत सिंह, मगन लाल, सुमनलाल रतूड़ी, जयप्रकाश, रामभोसा, दीपेन्द्र बिष्ट आदि का कहना है कि नदी का अस्थायी पुल टूटने से आए दिन बच्चों को नदी पार कराने का जोखिम उठा रहे हैं, लेकिन शासन प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। बीती बुधवार को राइंका श्रीकोट से घर आते वक्त अभिभावक अपने बच्चों को नदी को पार करते समय कक्षा 11 में पढ़ने वाली रवीना बीच नदी में डर के मारे बेहोश हो गई और नदी में बहने से बाल-बाल बची। मौके पर मौजूद लोग किसी तरह से उसे नदी किनारे लाए।
तहसीलदार जालम सिंह राणा का कहना है कि क्षति का आंकलन कर इस्टीमेट संबंधित विभाग बनाने को कहा गया है। इस संबंध में जानकारी जिलाधिकारी को दी गई है।