देहरादून, ट्रॉपिकल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, जबलपुर (मध्य प्रदेश) में नकल गैंग के पकड़े जाने और देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआइ) की भर्ती परीक्षा में भी इसी तरह की अनियमितता सामने आने के बाद इसकी आंच अन्य संस्थानों तक भी पहुंचती दिख रही है। भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आइसीएफआरई) ने अपने देशभर के सात अन्य संस्थानों में भी नकल गैंग का कनेक्शन तलाश करने का निर्णय लिया है। परिषद के महानिदेशक डॉ. एससी गैरोला ने जबलपुर के पुलिस अधीक्षक से बात कर नकल कराने वाले गैंग के तार खंगालने को कहा है।महानिदेशक (डीजी) डॉ. गैरोला ने कहा कि एफआरआइ में विभिन्न पदों की भर्ती परीक्षा टीएफआरआइ से पहले हो गई थी। ऐसे में परीक्षा देने आए जिन अभ्यर्थियों के पास से ब्लूटूथ डिवाइस मिली थी, उनका सिर्फ आवेदन निरस्त किया गया था और पुलिस को सूचना नहीं दी गई थी। इसके बाद जब 30 सितंबर को जबलपुर में हरियाणा के नकल गैंग के पकड़े जाने के बाद यह बात सामने आई कि एफआरआइ की परीक्षा में भी बड़ी संख्या हरियाणा के अभ्यर्थी शामिल हुए थे। इसके अलावा भी परीक्षा में अनियमितता को लेकर कई बातें सामने आई थीं। ऐसे में इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि नकल गैंग के तार अन्य संस्थानों से न जुड़े हों। इसी बात की पड़ताल के लिए जबलपुर के एसपी से बात की गई है कि वह यह देख लें कि पकड़े गए लोगों या उनके साथियों के तार कहां तक जुड़े हैं। वर्तमान में आइसीएफआरई के सभी संस्थानों में भर्ती प्रक्रिया चल रही है।आइसीएफआरइ के महानिदेशक डॉ. एससी गैरोला ने कहा कि जांच पूरी होने तक परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किए जाएंगे। नकल प्रकरण में पुलिस के अलावा विभागीय स्तर पर भी जांच की जा रही है।भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के महानिदेशक ने बताया कि एफआरआइ व टीएफआरआइ के निदेशक को नकल प्रकरण पर संयुक्त रूप से भी पड़ताल करने को कहा है। यह बात भी सामने आ रही नकल गैंग में जबलपुर में जो आरोपित पकड़े गए हैं, उनमें से कुछ नाम एफआरआइ की भर्ती परीक्षा में भी पाए गए।