देहरादून : दून महिला अस्पताल में बीती 20 सितंबर को हुई जच्चा-बच्चा की मौत के मामले की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय टीम ने अपनी जांच लगभग पूरी कर ली है।अपर सचिव स्वास्थ्य व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक युगल किशोर पंत ने 21 सितंबर को दून महिला अस्पताल का निरीक्षण कर मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित की थी। टीम में पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अर्चना श्रीवास्तव के साथ ही ऋषिकेश एम्स की महिला एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष को भी शामिल किया गया था। टीम ने अस्पताल पहुंचकर तमाम पहलुओं की जांच की। इस दौरान टीम ने अस्पताल के अभिलेख देखने के साथ ही वहां तैनात चिकित्सकों व स्टाफ के साथ ही भर्ती मरीजों व उनके तीमारदारों से भी बात की। जांच रिपोर्ट आगामी 9 अक्टूबर तक शासन को सौंप दी जाएगी।बता दें कि उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ (हाल निवासी मसूरी) रमेश की पत्नी शुचिता को बीती 15 सितंबर को दून महिला अस्पताल में भर्ती किया गया था। वह सात माह की गर्भवती थी। अस्पताल में रहते हुए 20 सितंबर की सुबह महिला ने फर्श पर ही बच्चे को जन्म दिया और करीब 20 मिनट बाद जच्चा-बच्चा की मौत भी हो गई थी। परिजनों ने आरोप लगाया गया कि अस्पताल में बेड नहीं मिलने से महिला पांच दिन तक फर्श पर लेटी रही और यहीं पर प्रसव हुआ। समुचित उपचार न मिलने व स्टाफ की लापरवाही के कारण जच्चा-बच्चा की मौत हुई। हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने कुछ और ही तर्क दिया। यह कहा गया कि महिला के शरीर में खून की भारी कमी थी। महिला खुद ही लेबर रूप से बाहर आई थी। खून चढ़ाते समय महिला के शरीर में रिएक्शन भी हुआ। नैनीताल हाईकोर्ट ने भी इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया और सरकार से जवाब मांगा है।