नई दिल्ली। राष्ट्रपति पुतिन अपनी दो दिवसीय यात्रा पर भारत आए हैं। हैदराबाद हाउस में आज पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। इस दौरान दौरान प्रधानमंत्री मोदी के साथ वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस यात्रा के दौरान अरसे से लंबित पांच अरब डॉलर की एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम सौदे पर मुहर लग जाएगी। बता दें कि इस शिखर सम्मेलन में 10 अरब डॉलर से ज्यादा के सौदे पर बातचीत हो सकती है। इनमें छिपी संभावना और क्षमता की बदौलत रूसी हथियारों के लिए कम से कम दो और दशकों तक भारतीय दरवाजे खुले रहेंगे। आपको बताते हैं कि राष्ट्रपति पुतिन का शुक्रवार को क्या कार्यक्रम है।
12.00 बजे: द्विपक्षीय वार्ता
1.00 बजे: प्रेस कॉन्फ्रेंस
02.00 बजे: बच्चों से मुलाकात
03.00 बजे: भारत-रूस बिजनेस समिट
04.00 बजे: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात
भारत पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि यह मिसाइल प्रणाली उसकी सुरक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण है और उसे हासिल करने का उसका इरादा पक्का है। ऐसे में इस सौदे पर पड़ोसी मुल्क चीन और पाकिस्तान की नजरें टिकी हैं। साथ ही अमेरिका भी इस डील पर अपनी नजरें गड़ाए बैठा है। अमेरिका शुरुआत से ही इस डील के खिलाफ रहा है। यहां तक कि, अमेरिका एस-400 एयर डिफेंस मिसािल सिस्टम खरीदने वाले देशों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की धमकी भी दे चुका है। ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिरकार अमेरिका इस डील से क्यों घबराया हुआ है। या इससे अमेरिका को क्या नुकसान हो सकता है।अमेरिकी को चिंता है कि एस-400 का इस्तेमाल यूएस फाइटर जेट्स की गुप्त क्षमताओं को टेस्ट करने के लिए किया जा सकता है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस सिस्टम से भारत को अमेरिकी जेट्स का डेटा मिल सकता है। साथ ही अमेरिकी इसीलिए भी चिंतित है की भारत इस डेटा को रूस या किसी अन्य दुश्मन देश के साथ शेयर कर सकता है अमेरिका ने अपने दुश्मन देशों को प्रतिबंधों के जरिए दंडित करने के लिए ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेक्शंस एक्ट’ (काटसा) कानून बनाया है। इन देशों के साथ सौदे करने वाले देशों पर यह कानून लागू होता है। हालांकि, ऐसा भी कहा जा रहा है कि अमेरिका भारत को इसमें राहत दे सकता है।बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगस्त 2017 में ‘काटसा’ पर हस्ताक्षर किए थे। ट्रंप ने अगस्त 2017 में रूस पर प्रतिबंध लगाने के मकसद से इस कानून पर हस्ताक्षर किए थे। इसे ‘काटसा’ नाम दिया गया। इसके तहत अमेरिका रूस से बड़ा रक्षा समझौता करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगा सकता है।