जानवरों के अवैध शिकार को रोकने के लिए वन विभाग सतर्क, रोकथाम के लिए जारी की गाईडलाइन

देहरादून: सर्दियों के दौरान ऊंचाई वाले क्षेत्रों से निचले स्थान व घाटियों में आने वाले जानवरों के अवैध शिकार को रोकने के लिए वन महकमे ने तैयारी शुरू कर दी है। इस क्रम में विभाग 15 नवंबर से पहले अधिक ऊंचाई के ऐसे गांवों का निरीक्षण करेगा, जो सर्दियों के दौरान खाली हो जाते हैं। विभागीय कर्मी यह सुनिश्चित करेंगे की गांव खाली होने के बाद कोई भी ग्रामीण वहां रुका नहीं है। इसके अलावा कैमरा ट्रैप के माध्यम से सर्दियों में प्रयुक्त होने वाले पैदल मार्गों पर भी नजर रखी जाएगी।

उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में नवंबर अंत तक बर्फबारी शुरू हो जाती है। यहां ऐसे कई गांव हैं जहां ग्रामीण गर्मी शुरू होते ही उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित गांवों में चले जाते हैं और सर्दियां होने पर निचले क्षेत्रों में बने अपने इलाकों में लौट आते हैं। गांव खाली होने व भारी बर्फ होने के कारण वन कर्मियों को यहां गश्त करने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान अनेक प्रजातियों के वन्यजीव मसलन हिम तेंदुआ, कस्तूरा मृग, भालू, हिरण समेत कई जानवर भी भोजन की तलाश में पर्वतीय क्षेत्र से नीचे की ओर उतरते हैं। इस कारण उनके अवैध शिकार की आशंका बढ़ जाती है। पूर्व में पुलिस और वन विभाग के सामने अवैध शिकार के कई मामले आ चुके हैं। इसे देखते हुए वन विभाग ने शीत ऋतु में अवैध शिकार की प्रभावी रोकथाम के लिए गाईडलाइन जारी की है। समस्त वन संरक्षक, वन्यजीव परीरक्षण संगठन के निदेशक, उप निदेशक व प्रभागीय वन अधिकारियों को इसी गाईडलाइन के अनुसार कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।

गाईडलाइन के प्रमुख बिंदु

ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लंबी व छोटी दूरी की गश्त के लिए गोपनीय समयबद्ध कार्यक्रम बनाए जाएं।
अधिक ऊंचाई वाले गांवों के खाली होने के बाद गांवों का निरीक्षण अवश्य किया जाए।
ऊंचाई वाले क्षेत्रों के पैदल मार्ग पर विशेष निगाह रखी जाए। ऊंचे स्थानों से दूरबीन के माध्यम से नजर रखी जाए।
कहीं धुआं दिखने पर संबंधित अधिकारियों को भेज कर कार्रवाई की जाए।
जहां कर्मचारियों का आना जाना कम होता है वहां कैमरा ट्रैप लगाकर निगरानी की जाए।
ऊंचे क्षेत्रों की राशन की दुकानों से अधिक राशन खरीदने वालों की गतिविधि पर नजर रखी जाए।
शिकार पर रोकथाम को सूचना तंत्र विकसित करने के साथ ही एलआइयू की मदद भी ली जाए।
सीमांत क्षेत्रों के वनाधिकारी सीमा पर तैनात सीमा बलों से समन्वय बनाएं और उन्हें भी शीत ऋतु में वन्यजीव अपराधों के विषय में जागरूक करें।

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