देहरादून: दिवंगत स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद (आइआइटी से सेवानिवृत प्रोफेसर गुरुदास अग्रवाल) के अनुयायी अब एम्स में उनके पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन कर सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इससे संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतिम दर्शनों की सशर्त अनुमति दी। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश प्रशासन ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी थी। हाईकोर्ट ने सानंद का पार्थिव शरीर 76 घंटे तक हरिद्वार स्थित मातृसदन आश्रम में दर्शनार्थ रखने के आदेश एम्स को दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि स्वामी सानंद के अनुयायियों की भावना को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अनुयायी ऋषिकेश एम्स में उनके पार्थिव शरीर के दर्शन कर करेंगे। इसके लिए अदालत बाकायदा समय सारिणी जारी की है। अदालती आदेशों के मुताबिक एम्स ऋषिकेश में जहां भी स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर रखा गया गया है, वहां हर रविवार को 10-10 के बैच में अनुयायी उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे। लेकिन, एक दिन में अधिकतम 50 को ही यह अनुमति दी जाएगी। दर्शनों की अनुमति केवल दस रविवार के लिए की गई है। गंगा की अविरलता और निर्मलता को लेकर सानंद ने 113 दिनों के उपवास के बाद बीती 11 अक्टूबर को शरीर त्याग दिया था। इससे पहले वह ऋषिकेश एम्स को देहदान कर चुके थे। इसी के चलते उनका पार्थिव शरीर एम्स के पास सुरक्षित है। चूंकि सानंद ने एम्स में भर्ती होने से पहले तक हरिद्वार स्थित मातृसदन में उपवास किया था, इसलिए मातृसदन ने उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए तीन दिन तक अपने पास रखने की मांग की थी। एम्स प्रशासन ने इससे इन्कार कर दिया था। इस पर मातृसदन ने नैनीताल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।गंगा संरक्षण के लिए कठोर कानून बनाने की मांग को लेकर लंबे समय से तप (अनशन) कर रहे स्वामी गोपाल दास ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश से छुट्टी मिलने के बाद अब ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर तप शुरू कर दिया है। उनके कुछ समर्थकों ने त्रिवेणी घाट पर देर शाम पोस्टर-बैनरों के साथ प्रदर्शन भी किया। स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के ऋषिकेश एम्स में निधन के बाद स्वामी गोपाल दास ने हरिद्वार के मातृसदन में तप शुरू कर दिया था।