जैन मुनि विप्रण सागर की मौत का राज

भागलपुर। जैन मुनि विप्रण सागर जी महाराज को दुनिया छोड़े छह दिन गुजर गए। पर, पुलिस को अब तक कोई ठोस क्लू हाथ नहीं लगा है। अभी भी पुलिस ठोस क्लू की तलाश में है। गुप्त तरीके से अनुसंधान के बाद पुलिस की नजर अब मुनि महाराज के कमरे पर टिकी है। पुलिस कमरे में मौत के कारणों को ढूंढने का प्रयास करेगी। इसके लिए एक्सर्ट की मदद ली जाएगी। मामले की जांच कर रही ललमिटया पुलिस भी सभी संभावना तलाश रही है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि कमरे को दोबारा खोलने पर पुलिस के हाथ कुछ न कुछ अहम क्लू हाथ लग सकता है। दरअसल, जैन सिद्ध क्षेत्र के मुनि महाराज कमरा संख्या तीन में रहते थे। मंगलवार की शाम इसी कमरे में फांसी लगाकर खुदकशी कर ली थी। कमरे से डेड बॉडी निकालने के बाद पुलिस ने इस कमरे का सील कर दिया है। जैन मुनि से किसकी ज्यादा बातें होती थी, इस एंगल पर भी पुलिस फोकस कर रही है। मोबाइल कॉल डिटेल आने के बाद इस ओर पुलिसिया कार्रवाई आगे बढ़ेगी। जैन मुनि के मोबाइल पर अंतिम कॉल किसने की थी? किसका फोन आया था? यह सब सीडीआर डिटेल आने के बाद पता चलेगा। अभी तक जो बातें छनकर आ रही है उसमें बीस पंथी चुनाव का विवाद प्रमुख है। इस घटना के पीछे जो बातें छनकर आ रही वह सुसाइड नोट में परेशानी और दबाव जैसे शब्द है। किस बात की परेशानी और किससे हुई थे परेशान? यह बात अंदर ही अंदर समाज और हर लोग जान रहे हैं। पुलिस को यह राज का पता महाराज जी के फोन से पता चल सकेगा। पोस्टमार्टम में मुनि के खुदकशी की बात सामने आई है। उनके शरीर के किसी भाग पर कोई चोट के निशान भी नहीं मिले हैं। नाथनगर के चंपापुर दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र में जैन मुनि विप्रण सागर जी महाराज (38) ने फंदा लगा खुदकशी कर ली थी। वे मध्य प्रदेश के राजपाटन के रहने वाले थे। उनका शव तीन नंबर कमरे में रस्सी के सहारे पंखा से लटका मिला।

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