भूकंप की प्रबल संभावना, वैज्ञानिक बता रहे ये वजह

श्रीनगर गढ़वाल: उत्तराखंड हिमालयी क्षेत्र में एक बड़े भूकंप की प्रबल संभावना है। उत्तराखंड हिमालयी क्षेत्र में भूकंपीय ऊर्जा लगातार जमीन के अंदर जमा हो रही है, जो कभी भी बड़े भूकंप के रूप में उत्सर्जित हो सकती है। केंद्रीय भूविज्ञान मंत्रालय के सहयोग से हिमालय के अन्य क्षेत्रों के सापेक्ष उत्तराखंड में भूंकपीय गतिविधियों को लेकर किए जा रहे शोध अध्ययन से वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला है। इस शोध अध्ययन से जुड़े गढ़वाल केंद्रीय विवि श्रीनगर के भू वैज्ञानिक डॉ. एसपी सती ने कहा कि शोध अध्ययन की वैज्ञानिक प्रमाणिकता को देखते हुए ही अमेरिका से प्रकाशित होने वाली विश्व प्रसिद्ध शोध पत्रिका अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लेटर्स ने इस शोध पत्र को ऑनलाइन कर दिया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में शोध पत्रिका में यह शोध पत्र प्रकाशित भी होगा। वर्तमान में डॉ. सती उत्तराखंड उद्यानिकी वानिकी विवि भरसार के कुलसचिव पद पर कार्यरत हैं। उत्तराखंड में भूकंपीय गतिविधियों का यह शोध अध्ययन जीपीएस स्टडी पर आधारित है। वर्ष 2013 से 2018 तक पांच साल में किए गए शोध अध्ययन से यह प्रारंभिक निष्कर्ष निकला है। यह शोध अध्ययन अभी जारी है। गढ़वाल विवि भू विज्ञान विभाग के साथ ही राष्ट्रीय भू भौतिकी अनुसंधान संस्थान हैदराबाद, राष्ट्रीय भूकंप संस्थान दिल्ली, वाडिया भू विज्ञान संस्थान देहरादून, जीबी पंत संस्थान कोसी कटारमल की ओर से संयुक्त रूप से केंद्रीय भूविज्ञान मंत्रालय के सहयोग से यह शोध अध्ययन किया जा रहा है। वर्ष 2015 में नेपाल में आए भूकंप के बाद कुछ भू वैज्ञानिकों का कहना था कि जमीन के अंदर की अधिकांश ऊर्जा निकल चुकी है, इसलिए उत्तराखंड में अब बड़े भूकंप की संभावना नहीं है। भू वैज्ञानिक डॉ. एसपी सती इस निष्कर्ष को सिरे से नकार रहे हैं। उन्होंने कहा कि जीपीएस पर आधारित उनके शोध अध्ययन से स्पष्ट हो रहा है कि ऐसी स्थिति नहीं है। उत्तराखंड हिमालयी क्षेत्र के भूकंपीय ऊर्जा के उत्सर्जित होने का नेपाल के भूकंप से कोई संबंध नहीं है। उत्तराखंड हिमालयी क्षेत्र में आठ या उससे अधिक रिएक्टर स्केल का भूकंप पिछले पांच साल में नहीं आया और इस शोध अध्ययन से पता चला है कि भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड हिमालयी क्षेत्र बराबर सक्रिय है। भूकंपीय ऊर्जा जमीन के अंदर बड़ी मात्रा में जमा भी हो रही है।

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