देहरादून: ये लापरवाही की इंतहा है। लगता है जच्चा-बच्चा की जिंदगी का प्रदेश में कोई मोल नहीं है। तभी न सरकार चेत रही है और न व्यवस्था में बदलाव दिख रहा है। दून महिला अस्पताल में रविवार सुबह हुई घटना एक ऐसा दाग है, जिसने सिस्टम के नाकारापन को सामने ला दिया है।
देश के प्रमुख सरकारी चिकित्सालयों में शुमार दून महिला अस्पताल में टिहरी निवासी महिला ने शौचालय में बच्चे को जन्म दिया। हद ये कि इसके बाद भी स्टाफ से उसे कोई मदद नहीं मिली। इस लापरवाही के चलते बच्चे की जान चली गई। अब महिला अस्पताल में भर्ती है।
मूल निवासी टिहरी हाल निवासी चुक्खूवाला निवासी बृजमोहन बिष्ट ने अपनी आठ माह की गर्भवती पत्नी आरती को दून महिला अस्पताल में भर्ती कराया था। तड़के करीब छह बजे वे पत्नी को लेकर शौच के लिए लेकर गए, लेकिन ताज्जुब देखिए कि शौचालय में पानी ही नहीं था।
इस कारण वह उसे लेकर दून अस्पताल की इमरजेंसी के सामने बने शौचालय लेकर गए। शौचालय में ही महिला को प्रसव पीड़ा हुई और वहीं उसने बच्चे को जन्म दे दिया। आरोप है कि बृजमोहन ने स्टॉफ को मदद के लिए बुलाया, लेकिन कोई नहीं आया।
दून महिला अस्पताल में लापरवाही का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले 20 सितंबर को अस्पताल में पांच दिन तक फर्श पर पड़ी रहने के बाद महिला को प्रसव हुआ था। जिसके बाद फर्श पर ही जच्चा-बच्चा ने दम तोड़ दिया था। इस मामले की जाच की गई थी, लेकिन चिकित्सकों को क्लीन चिट दे दी गई।
अपर सचिव चिकित्सा शिक्षा युगल किशोर पंत ने अस्पताल का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं में सुधार का दावा किया था, पर बदलाव किसी भी स्तर पर दिखाई नहीं दे रहा। उस पर जब तब अस्पताल की लापरवाही उजागर करता कोई नया मामला सामने आ रहा है।