हरिद्वार। साल का अंतिम बड़ा स्नान पर्व कार्तिक पूर्णिमा के रूप में शुक्रवार को पड़ रहा है। धर्मनगरी में पूर्णिमा स्नान की तैयारी शुरू कर दी गई है। कृतिका नक्षत्र और ध्वज योग में पर्व पड़ने के कारण और भी अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। पंडित प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों से लाखों स्नानार्थी स्नान के लिए पहुंच रहे हैं।
कार्तिक पूर्णिमा का स्नान 23 नवंबर को होगा और यह वर्ष का अंतिम स्नान पर्व है। अगले वर्ष पर्वों का शुभारंभ 14 जनवरी को मकर संक्रांति स्नान के साथ होगा। दीपावली के बाद कार्तिक पूर्णिमा एकमात्र स्नान पर्व के रूप में मनाया जाता है। अगला प्रमुख स्नान माघ में मौनी अमावस्या को होगा। कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए देश के कई भागों से श्रद्धालु आते हैं। कृतिका नक्षत्र में पड़ने के कारण पर्व का महत्व बढ़ जाता है। ऐसा संयोग कम ही होता है कि स्वाति अथवा कृतिका नक्षत्र में स्नान हो और ध्वज योग पड़ जाए।
इस दिन चंद्रमा का प्रवेश वृष राशि में हो रहा है। बैकुंठ चतुर्दशी और सत्यनारायण पर्व के तत्काल बाद पूर्णिमा पड़ने से गंगा में चंद्रमा और सूर्य की पवित्र रश्मियों का प्रभाव तीव्र हो जाता है। फलस्वरूप स्नान के दिन आकाश से अमृत वृष्टि होती है। इसी अमृत को पाने के लिए लाखों श्रद्धालु धर्मनगरी आएंगे।