देहरादून। पहाड़ों की सुख-शांति को जहां आपसी रंजिश की नजर लग रही है, वहीं राजधानी देहरादून और धर्मनगरी हरिद्वार में पेशेवर अपराधियों की सक्रियता से लोगों का सुख-चैन छिनता जा रहा है। अपराध के आंकड़े भी कुछ ऐसी तस्वीर पेश करते हैं। गढ़वाल परिक्षेत्र के सभी सात जनपदों में विगत दस माह में घटित 6495 आपराधिक वारदात में से करीब 90 फीसद यानी 58 सौ के करीब दून और हरिद्वार में ही घटित हुई हैं।
प्राकृतिक आपदा के न्यूनतम खतरे और सुकून भरी जिंदगी जीने के लिए जिन मूलभूत सुविधाओं की आवश्यकता होती है, उसमें से अधिकांश राजधानी देहरादून और देश भर में धर्मनगरी के रूप में विख्यात हरिद्वार में मौजूद हैं।
यही वजह है कि उत्तरकाशी, टिहरी, चमोली, पौड़ी के लोग यहां आशियाना बनाने के सपने देखते हैं। एक बात और, उत्तर प्रदेश का हिस्सा होने के समय से ही पर्वतीय क्षेत्रों में अपराध न के बराबर थे, मगर अब हालात न सिर्फ बदले हैं, बल्कि चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं। अपराध का ग्राफ पिछले साल के आंकड़ों को पार करने लगा है। खासकर मैदानी जनपदों में स्थिति बेहद चिंताजनक दौर से गुजर रही है। दून और हरिद्वार में आपसी रंजिश में हत्या से लेकर लूट, चेन स्नेचिंग और महिला अपराधों के मामले में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, इसमें से अधिकांश मामलों में आरोपित बदमाशों और गैंग पर शिकंजा कसने में पुलिस कामयाब रही, लेकिन इसके बाद भी अपराधों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।
गैर प्रांतों के टारगेट पर दोनों जिले
दून और हरिद्वार में हत्या, धोखाधड़ी से लेकर चोरी तक में पड़ोसी राज्यों से तार जुड़ते रहे हैं। पिछले दिनों रायपुर में हुई ईंट-बजरी कारोबारी आदेश बालियान की हत्या में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गैंग का हाथ सामने आया था। पिछले साल एटीएम क्लोनिंग गैंग की बड़ी वारदात में हरियाणा के शातिरों की मिलीभगत का पता चला था। वहीं हरिद्वार में भी पड़ोसी राज्य के आपराधिक गिरोहों की धमक हमेशा बनी रहती है।
देहरादून और हरिद्वार में अपराध के आंकड़े हैं अधिक
अजय रौतेला (डीआइजी, गढ़वाल परिक्षेत्र) का कहना है कि देहरादून और हरिद्वार में अपराध के आंकड़े अधिक हैं। यहां की जनसंख्या भी पर्वतीय जिलों की अपेक्षा अधिक है। पुलिस अब घटनाओं को छिपाती नहीं, बल्कि उसका संज्ञान में लेकर कार्रवाई करती है। राहत वाली बात यह है कि जितनी भी वारदात हुई हैं, उसमें से अधिकांश का खुलासा किया जा चुका है और कई शातिर अपराधियों एवं गिरोहों को सलाखों के पीछे भी किया गया है।