देहरादून। स्ट्रीट क्राइम यानी सड़क पर होने वाले अपराध के मामले में दून राज्य में सबसे अधिक संवेदनशील है। यहां आए दिन लूट, ठगी और चेन स्नेचिंग की वारदातें होती ही रहती हैं, तो साल के जाते-जाते राजपुर रोड जैसे व्यस्ततम इलाके में फाइनेंस कंपनी में भी एक बड़ी लूट हो गई। मगर अभी तक स्ट्रीट क्राइम रोकने के लिए पुलिस कोई रोडमैप तैयार करना तो दूर इस दिशा गंभीरता से विचार तक नहीं कर पाई।
शैक्षणिक, व्यवसायिक गतिवधियों और राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के चलते यहां संपन्न लोगों की तादाद अच्छी-खासी है। यहां लोगों का नकदी लेकर चलना सामान्य सी बात है। मगर हाल के दिनों जो हालात बने हैं, वह महिलाओं से लेकर कारोबारियों तक को डराने लगा है। हम बात कर रहें हैं स्ट्रीट क्राइम की, जिस पर पुलिस के आंकड़े तो पिछले दो साल से चुनौतीपूर्ण होते हालात की ओर से इशारा कर रहे हैं।
मगर हकीकत यह है कि सड़क पर लोगों की सुरक्षा फिलहाल भगवान भरोसे ही है। बीते दस माह में यहां लूट की 23 और वाहन लूट की एक वारदात हो चुकी है। इसमें कुछ आपसी पेशबंदी में दर्ज हुए मुकदमे भी हैं। वहीं, चेन स्नेचिंग की कुल 22 वारदातें हो चुकी हैं, यानी हर 15 दिन में एक वारदात। इनमें से अधिकांश का पुलिस ने खुलासा कर चुकी है, लेकिन फिर भी स्ट्रीट क्राइम रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
घंटाघर पर लुट गए थे सर्राफ पिता-पुत्र
घंटाघर पर बीते 13 नवंबर को मेरठ के सर्राफा कारोबारी पिता-पुत्र को पुलिस का डर दिखा कर बदमाशों ने लाखों के गहने लूट लिए थे। हाल के दिनों में स्ट्रीट क्राइम की यह सबसे बड़ी वारदात थी। इस घटना में जिस ईरानी गैंग का हाथ होने का शक पुलिस जता रही है, फिलहाल उनके बारे में अब तक कोई सुराग पुलिस के हाथ नहीं लगा है।
फाइलों में खो गईं महिला चीता
पिछले साल दून पुलिस ने जोरशोर से महिला चीता टीम की लांचिंग की थी। हर थाने में दो या तीन महिला चीता टीमों का गठन किया गया था। इन टीमों के गठन का मुख्य उद्देश्य स्ट्रीट क्राइम के साथ महिलाओं के साथ होने वाली छेड़छाड़ की घटनाओं को रोकना था, लेकिन अधिकांश थानों की महिला चीता टीम निष्क्रिय हो गई है।
बोले अधिकारी
एसएसपी निवेदिता कुकरेती का कहना है कि स्ट्रीट क्राइम को लेकर पेट्रोलिंग और गश्त व्यवस्था की समीक्षा कर उसकी खामियों को दूर किया जाएगा। महिला चीता टीमों को सक्रिय करने के प्रयास किए जा रहे हैं।