गोपेश्वर। चमोली जिले के मुख्यालय गोपेश्वर में लंबे समय से बंदरों का आतंक का बना हुआ है। वन विभाग व नगर पालिका सब कुछ जानते हुए भी लापरवाह बना हुआ है। सड़कों पर आतंक फैला रहे बंदर अब लोगों की रसोई में घुसकर सामान को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
जिला मुख्यालय गोपेश्वर में बंदरों का आतंक नई बात नहीं है। कुछ समय पहले भी बंदरों के कई झुंड नगर में घुस गए थे। स्थानीय लोगों के कई बार शिकायत करने के बाद तीन वर्ष पूर्व नगर पालिका ने मथुरा से बंदरों को पकडऩे के लिए टीम बुलाई थी।
इस टीम ने जिला चिकित्सालय, मुर्गी फार्म समेत कई इलाकों में जाली लगाकर बंदरों को पकड़ा भी। बताया कि इन बंदरों को आसपास के जंगलों में छोड़ दिया गया। इससे कुछ समय तक तो नगर में शांति का माहौल रहा। अब फिर से बंदरों के कई झुंड नगर में आतंक का पर्याय ने हुए हैं। ये बंदर पहले राहगीरों को परेशान कर रहे थे। अब सीधे लोगों के घरों व रसोई में पहुंच रहे हैं।
पेट्रोल पंप निवासी गीता देवी का कहना है कि बंदरों का झुंड आए दिन रास्तों पर खासकर महिलाओं व छोटे बच्चों पर झपट रहे हैं। उनके मुताबिक अभी तक तीन से अधिक स्कूली बच्चों पर झपटा मारकर उन्हें नुकसान पहुंचा चुके हैं।
जिला न्यायालय के अधिवक्ता हरीश पुजारी का कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में चमोली में बंदरबाड़ा प्रस्तावित किया गया था। इस मसले पर कोई कार्रवाई न किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। मामले में केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग की रेंज अधिकारी आरती मैठाणी ने बताया कि बंदरों के बधियाकरण के लिए बंदरबाड़ा प्रस्तावित किया गया है। उन्होंने कहा कि बंदरबाड़े के लिए उपयुक्त जमीन की तलाश की जा रही है। दो स्थानों पर जमीन देखी गई है।
बंदरों व लंगूरों को पकडऩे के लिए लगाया पिंजरा
कर्णप्रयाग के ग्रामीण अंचलों में लंबे समय से जंगली जानवरों के आतंक से ग्रामीण परेशान हैं। विभागीय अधिकारियों के निर्देश पर वन विभाग की टीम ने गिरसा गांव में पिंजरा लगाकर बंदरों व लंगूरों को पकड़ने का अभियान शुरू कर दिया है। वहीं ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों ने मौके पर पहुंची टीम को जमकर कोसा।
नागनाथ रेंज के वन क्षेत्राधिकारी विक्रम सिंह के नेतृत्व में टीम गिरसा गांव पहुंची और बंदरों व लंगूरों को पकड़ने के लिए दो पिंजरे लगाए। इस दौरान ग्रामीणों ने विभाग के प्रति नाराजगी व्यक्त की। कहा कि वन विभाग से लंबे समय से जंगली जानवरों के आतंक से निजात दिलाने की मांग की जा रही थी।
ग्रामीण कुंवर सिंह, संजय कुमार, राजेंद्र सिंह, प्रेम सिंह ने बताया कि जंगली जानवर खेत में बोई फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे खेती करना घाटे का सौदा हो रहा है। कहा कि गिरसा के साथ ही जिलासू, सरणा, ऐरास, मस्टगांव, सिवाई आदि गांवों में जंगली सुअर सहित बंदरों व घुरड़ का आतंक बना है।
विकासखंड कर्णप्रयाग के कपीरी पट्टी के डिम्मर, नाकोट, सुमल्टा, बणसोली सहित 14 ग्राम पंचायत व चांदपुर, दशोली, रानीगढ़ पट्टी में भी खेती कर रहे काश्तकार जंगली जानवरों के आतंक से सालों से नुकसान झेल रहे हैं। आज तक उन्हें सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिला है।
ग्रामीणों ने विभाग से बंदर, लंगूर सहित अन्य वन्यजीवों को सुरक्षित स्थान पर छोड़े जाने की गुहार लगाई है। वन क्षेत्राधिकारी विक्रम सिंह ने बताया फिलहाल पिंजरे में कोई भी बंदर व लंगूर पकड़ में नहीं आया है। इस दौरान वन दारोगा दिनेश चंद्र, रूपेश कंडारी, संपत रावत, दीप सिंह आदि मौजूद थे।