देहरादून। अटल आयुष्मान योजना के मरीजों को उपचार देने से निजी अस्पताल इनकार नहीं कर सकते। योजना में सूचीबद्ध नहीं होने के बावजूद अस्पताल को इमरजेंसी में भर्ती मरीज को उपचार देना होगा। ऐसा नहीं होने पर संबंधित अस्पतालों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
स्वास्थ्य सचिव नितेश कुमार झा ने सचिवालय में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत सूचीबद्ध निजी चिकित्सालयों के साथ बैठक की। बैठक में सूचीबद्ध प्रमुख अस्पतालों के 70 प्रतिनिधियों, चिकित्सकों व प्रबंधकों ने भाग लिया। इस मौके पर स्वास्थ्य सचिव नितेश कुमार झा ने कहा कि अटल आयुष्मान योजना के माध्यम से राज्य के प्रत्येक नागरिक को स्वास्थ्य सुरक्षा देने का कार्य किया जा रहा है।
अस्पतालों को योजना के लाभार्थी का समय से उपचार करना चाहिए। उससे किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाए। योजना के तहत सभी क्लेम का 15 दिन के भीतर भुगतान किया जा रहा है। क्लेम अस्वीकृत करने की दर मात्र 0.3 फीसद है। स्वास्थ्य सचिव ने कुछ निजी अस्पतालों में योजना के लाभार्थियों से अतिरिक्त शुल्क लेने की शिकायतों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए।
बैठक में चिकित्सालयों ने योजना के तहत कुछ बीमारियों की पैकेज दरों पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया। स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि इस संबंध में केंद्र सरकार से वार्ता कर यथोचित निर्णय लिया जाएगा। चिकित्सालयों ने योजना को अमल में लाने में पेश आ रही समस्याओं के बारे में भी बताया। इसमें उपचार की अनुमति कम समय में प्रदान करने, क्लेम धनराशि समय पर भुगतान करने व तकनीकी सहयोग करने के मामले अधिक थे। स्वास्थ्य सचिव ने चिकित्सालयों को विभिन्न सेवाओं व उपचार की जानकारी को डिस्प्ले करने को कहा, ताकि मरीजों को जानकारी मिल सके।
बैठक में योजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी युगल किशोर पंत, स्वास्थ्य महानिदेाश्क डॉ टीसी पंत, निदेशक डॉ आरके पांडे, डॉ अंजलि नौटियाल, निदेशक क्लेम मैनेजमेंट अटल आयुष्मान योजना डॉ सरोज नैथानी, निदेशक डॉ. अर्चना श्रीवास्तव समेत योजना से जुड़े सभी अधिकारी मौजूद थे।