देहरादून।सिद्धार्थ नेगी..ये नाम ना तो देश कभी भूल सकेगा और ना ही उत्तराखंड। वीरता और साहस का जो सबूत स्क्वाड्रन लीडर शहीद सिद्धार्थ नेगी दे गए, उसे भुलाना नामुमकिन है। उत्तराखंड के इस वीर सपूत ने अपनी जान देकर सैकड़ों की जान बचाई है।बता दें, वायुसेना के मिराज-2000 लड़ाकू विमान ने बंगलुरु स्थित एचएएल (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) की हवाई पट्टी से उड़ान भरी थी, लेकिन उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। बताया गया कि एचएएल का एयरपोर्ट आबादी के बीच है। पायलट ने अगर विमान का रुख न मोड़ा होता तो विमान आबादी क्षेत्र में गिर सकता था। जिससे कई लोगों की जान जा सकती थी।शहीद सिद्धार्थ की मां सुचित्रा नेगी को जन्मदिन पर बेटे से बात न कर पाने का रंज है। पूरा परिवार सदमे में है। शहीद सिद्धार्थ नेगी देहरादून के पंडितवाड़ी निवासी बलबीर सिंह नेगी के पुत्र थे। बलबीर सिंह नेगी पुलिस से सेवानिवृत्त हैं और हाल में ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। जिस दिन विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ उसी दिन सिद्धार्थ का जन्मदिन भी था। सुबह ही उनके पिता ने उन्हें जन्मदिन की बधाई दी थी। सिद्धार्थ ने कहा था कि टेस्ट फ्लाइट के बाद वह अपनी मां से बात करेंगे।सोमवार को शहीद सिद्धार्थ की अस्थिया जौलीग्रांट हवाई अड्डे लाई गईं। इसके बाद इसी दिन हरिद्वार में अस्थियां विसर्जित की गई। शनिवार को बंगलुरु के कालाहल्ली विद्युत शवदाह गृह में सैन्य सम्मान केसाथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया था।