ब्रॉडकास्टर ने घुमाकर पकड़े कान

देहरादून। ट्राई के नए नियमों के बाद टीवी चैनलों के ‘बुके’ के चक्कर में उपभोक्ताओं के हाथ से चैनलों की ‘बगिया’ तो निकल ही गई, साथ ही बुके के एक-एक चैनल का दाम उनके बजट से भी ऊपर चला गया है। ट्राई की गणित का हल ब्रॉडकास्टर ने चैनलों के मनमाने दाम से निकाल लिया, इसके अनुरूप मल्टी सर्विस ऑपरेटर की हिस्सेदारी भी तय है और केबल ऑपरेटर ने भी उपभोक्ताओं पर अपने हिसाब से चैनल थोपकर अपने घाटे की पूर्ति का जुगाड़ कर लिया है। अब रही बात केबल उपभोक्ताओं की तो वह हैरान और परेशान हैं। किस चैनल का चुनाव करें और किसे छोड़ें, इसी उधेड़बुन में चैनल चुनने की ट्राई की समयसीमा भी कब निकल गई, उन्हें इसका भान ही नहीं हो पाया। जिस कारण उनके मनपसंद चैनलों की सेवाएं बंद हो चुकी हैं और उन्हें फ्री-टू-एयर वाले 100 चैनलों से काम चलाना पड़ रहा है।दून में इस समय करीब 2.30 लाख केबल उपभोक्ता हैं और इनमें से लगभग डेढ़ लाख उपभोक्ताओं की पेड चैनलों की सेवाएं बंद भी हो चुकी हैं। कई जगह केबल ऑपरेटरों ने अभी चैनलों की सूची तक उपभोक्ताओं को नहीं दी है। जबकि डेन व प्राइम सिटी केबल से जुड़े केबल ऑपरेटरों ने चैनलों के दाम के अनुरूप सूची देने की जगह उन्हें अपने हिसाब से चैनलों का पैकेज बनाकर थमा दिया है। कुल मिलाकर उपभोक्ताओं की जेब पर अतिरिक्त भार पड़ना तय है या फिर उन्हें बजट के हिसाब से अपनी जरूरतें सीमित करनी पड़ जाएंगी। समीकरण जो भी बनें, लेकिन यह नौबत आ गई है कि कम चैनल हिस्से में आने के बाद भी उपभोक्ताओं को पहले से अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी।  टीवी चैनलों को लेकर परिवार के सभी सदस्यों की पसंद अलग-अलग होती है। जिस परिवार को अलग-अलग आयु वर्ग के सदस्य रहते हैं, वहां उसी के अनुरूप चैनलों का चुनाव करना पड़ेगा। जाहिर है कि इसके लिए विभिन्न चैनलों का अलग-अलग चुनाव करना होगा, जिससे कुल चैनलों की राशि पूर्व के अपेक्षा कहीं अधिक पहुंच रही है।डेन की ओर से दिए जा रहे ऑफर पर गौर करें तो और इसी के अनुरूप चैनलों का चुनाव किया जाए तो जो चैनल पूर्व में 250 रुपये में देखे जा रहे थे, उनकी राशि अब जीएसटी मिलाकर 501 रुपये हो रही है। इस ऑफर में कई अनावश्यक चैनलों का हवाला देकर कुछ कम पर आकर बात की जाए तो इसका बजट भी 419 रुपये पहुंच रहा है। इसके बाद कुछ ढंग के चैनलों को मिलाकर यह बजट कम से कम 307 रुपये महीना तो बैठ ही रहा है। यदि सबसे कम बजट के ऑफर पर संतोष करेंगे तब भी 242 रुपये चुकाने पड़ेंगे और आपकी पसंद के तमाम चैनल इसमें नहीं मिल पाएंगे।जिस घर में जितने अधिक टीवी चलाए जाते हैं, उन उपभोक्ताओं की जेब उतनी ही अधिक कटेगी। यह भी एक वजह है कि अभी तक भी लोग चैनलों को लेकर अपना चुनाव नहीं कर पा रहे हैं। ट्राई के नए नियम के बाद मल्टी सर्विस ऑपरेटर (एमएसओ) व लोकल केबल ऑपरेटर (एलसीओ) भी नाखुश हैं। डेन नेटव‌र्क्स के उत्तराखंड प्रभारी संतोष सकलानी का कहना है कि फ्री टू एयर चैनल में एमएसओ व एलसीओ की हिस्सेदारी तो लगभग बराबर है, मगर जो चैनल पेड हैं, उनमें 80 फीसद राशि ब्रॉडकास्टर के जेब में चली जाएगी। ऐसे में नए नियमों से उन्हें भी फायदा नहीं हो पा रहा। जबकि इससे पहले बड़ा हिस्सा केबल ऑपरेटर को मिलता था और शेष राशि एमएसओ व ब्रॉडकास्टर में बंट जाती थी।

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