फिर सामने आया दून पुलिस का निकम्मापन

-फरियादी की मदद के बजाए उसको टहलाती रही पुलिस
देहरादून। हालांकि पुलिस के निकम्मेंपन की यह कोई पहली घटना नहीं है इससे पूर्व भी राजधानी दून की जनता दून पुलिस के निकम्मेंपन का दुखड़ा पुलिस हैडक्वाटर, सचिवालय, मुख्यमंत्री और राज्यपाल के यहां लेकर जाती रही है लेकिन दून पुलिस की कार्यप्रणाली में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला अक्सर थाने-चौकियों से ही फरियादियों को लौटा दिया जा रहा है और उनकी दून पुलिस द्वारा कोई मदद नहीं की जा रही है। ऐसा हम नहीं कहते आंकड़े ही सब कुछ बता रहे है। पिछले तीन वर्ष में जनता को मजबूर होकर उच्च अधिकारियों के पास अपनी फरियाद लेकर जाने को मजबूर होना पड़ा। अगर हम देहरादून के आकंड़ों की बात करे तो पुलिस हैडक्वाटर में 3583, सचिवालय में 1420, मुख्यमंत्री कार्यालय में 73 और राज्यपाल के यहां 207 शिकायतकर्ता गत 3 वर्षों में पहुंचे और अपनी शिकायते दर्ज कराई है। हालांकि ए.डी.जी. लॉ एड़ ऑडर भी मानते है कि जनता को थाने चौकियों के बजाए उच्च अधिकारियों पर ज्यादा विश्वास है इसीलिए यह संख्य दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
ऐसा ही एक मामला देहरादून के हिमांशु छाबड़ा का भी है जो ऊर्जा पार्क में प्रिटिंग प्रेस चलाने का कार्य करते है वाक्या कुछ इस प्रकार है कि हिमांशु छाबड़ा ने प्रिटिंग प्रेस चलाने के लिए ऊर्जा पार्क देहरादून में राजेन्द्र मेहता नामक व्यक्ति से 2016 में जमीन/सम्पत्ति लीज़ पर 12 साल के लिए ली थी और बतौर पेशगी राजेन्द्र मेहता को 15 लाख रूपये भी दिये और उक्त सम्पत्ति/जगह पर निर्माण इत्यादि भी किया जिसमें काफी रूपया लग गया। उसका एक एग्रीमेंट भी तैयार किया लेकिन सम्पत्ति स्वामी राजेन्द्र मेहता ने दिनांक 29/01/2019 को अचानक हिमांशु छाबड़ा की उक्त प्रिटिंग प्रेस वाली जगह के ताले तोड़कर अपने ताले लगा दिए और मशीने इत्यादि भी अपने कब्जे में ले ली और हिमांशु छाबड़ा को जान से मारने की धमकी और गाली गलौच करते हुए वहां से भगा दिया और कहने लगा यह सम्पत्ति मेरी है तुमसे जो होता हो उखाड़ लो हिमांशु छाबड़ा जब इस बात की शिकायत चौकी बाजार पटेल नगर करने पहुंचा तो पुलिस वालो ने उसको पटेल नगर थाने जाने के लिए कहा जब हिमांशु छाबड़ा पटेल नगर थाने गया तो उसको वापस चौकी बाजार पटेल नगर भेज दिया गया। इस प्रकार पूरा दिन हिमांशु छाबड़ा को इधर से उधर पुलिस द्वारा दौड़ाया गया और शाम तक प्रार्थी की रिर्पोट नहीं लिखी गई केवल प्रार्थना पत्र पुलिस वालो द्वारा लिया गया और कोई कार्यवाही नहीं की गई इस प्रकार प्रार्थी 29/01/2019 से 02/02/2019 तक इधर से उधर चक्कर काटता रहा तब कहीं जाकर पुलिस द्वारा प्रार्थी की एफ.आई.आर. दर्ज की गई। जो कि पुलिस की कार्य प्रणाली को उजागर करता है। ऐसे में आम आदमी को पुलिस द्वारा न्याय मिलने की उम्मीद बहुत ही कम रह गई है।

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