बेसमेंट और स्थायी पार्किंग की बजाए सड़क पर पार्किंग व्यवस्था समझ से परे, पढ़िए

देहरादून। दून की सड़कों पर स्मार्ट पार्किंग को लेकर सवाल उठने लगे हैं। खासकर बेसमेंट और स्थायी पार्किंग पर काम करने की बजाए सड़क पर काम चलाऊ व्यवस्था को हर कोई समझ से परे बता रहे हैं। हद तो यह है कि पीपीपी मोड पर संचालित इस पार्किंग की 70 फीसद कमाई प्राइवेट कंपनी और सिर्फ 30 फीसद हिस्सेदारी नगर निगम और एमडीडीए के खाते को तय हुई है। ऐसे में प्राइवेट कंपनी को मनमाफिक शर्तों पर पार्किंग का ठेका सौंपा जाने के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं।

राजधानी की सड़कों पर जाम और पार्किंग पर बेतरतीब खड़े होने वाले वाहनों के लिए स्मार्ट पार्किंग योजना शुरू की गई। राजपुर रोड से योजना का शुभारंभ भी कर दिया गया। पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप (पीपीपी) में संचालित इस योजना का लाभ फिलहाल प्राइवेट कंपनी के हित में देखा जा रहा है। एमडीडीए, नगर निगम, पुलिस, प्रशासन, लोनिवि समेत अन्य सरकारी एजेंसियों के संयुक्त निर्णय से यह योजना ब्रिडकुल के मार्फत संचालित की जा रही है। ब्रिडकुल ने इसका जिम्मा प्राइवेट कंपनी को दिया है। ब्रिडकुल के अधिकारियों का दावा है कि योजना पर दो करोड़ का खर्च आंकलन है। मगर, अभी तक सिर्फ लोक निर्माण विभाग की सड़क पर पेंट से पार्किंग प्वाइंट बनाने के सिवाय कंपनी ने कोई खर्चा नहीं किया है। कंपनी अपने मशीनें और मैन पावर को भी खर्चे में जोड़ रही है। जबकि पीपीपी मोड में यह काम कंपनी की जिम्मेदारी होती है। लेकिन कंपनी के साथ जो करार किया गया है, वह अव्यवहारिक लग रहा है।

मॉल और कॉम्पलेक्स की पार्किंग पर चुप्पी

शहर की राजपुर रोड में दो दर्जन से ज्यादा शॉपिंग मॉल, कॉम्पलेक्स, होटल आदि संचालित होते हैं। लेकिन, इनके द्वारा पार्किंग नियम का कितना पालन कराया जाता है, इसका अंदाजा इनकी पार्किंग उपलब्धता को देखकर लगाया जा सकता है। सड़क पर पार्किंग सजाने की बजाए यदि एमडीडीए, नगर निगम और ब्रिडकुल इन कॉम्पलेक्स में पार्किंग व्यवस्था को ढर्रे पर लाए तो काफी हद तक सड़क किनारे वाहन पार्क करने की समस्या खत्म हो जाएगी।

ट्रैफिक पुलिस ने फ्री की थी सड़क पर पार्किंग 

ट्रैफिक निदेशक केवल खुराना ने भी शहर में निश्शुल्क पार्किंग स्थल चिह्नित किए थे। इसमें 150 बेसमेंट पार्किंग को चुना गया था। 18 जगह सड़क किनारे निश्शुल्क पार्किंग बनाई थी। इन पार्किंग पर अभी भी वाहन खड़े हो रहे हैं। ऐसे में ब्रिडकुल की पेड पार्किंग पर सवाल उठने स्वभाविक हैं।

बोले अधिकारी

  • केवल खुराना (निदेशक ट्रैफिक) का कहना है कि स्मार्ट पार्किंग के नफा-नुकसान का आंकलन कर एसपी ट्रैफिक से रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट मिलने के बाद ही इस पर कुछ कहा जा सकता है। फिलहाल व्यवस्था बनाने में जो ठीक है, वह होना चाहिए।
  • आशीष श्रीवास्तव (उपाध्यक्ष एमडीडीए) का कहना है कि संयुक्त प्रयासों से यह योजना तैयार हुई है। यह पब्लिक की सुविधा के लिए है। फिलहाल ट्रायल के रूप में योजना का संचालन किया जा रहा है। लोगों को बेसमेंट पार्किंग को लेकर भी जागरूक करेंगे।
  • प्रदीप गैरोला (जीएम ब्रिडकुल) का कहना है कि पार्किंग का संचालन करने वाली कंपनी को कमाई का 70 फीसद हिस्सेदारी दी जाएगी। 30 फीसद कमाई नगर निगम और एमडीडीए के खाते में जाएगी। योजना का लाभ भविष्य में मिलेगा।

पार्क की जगह पार्किंग बनाई तो करेंगे बड़ा आंदोलन

उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लि. (यूपीसीएल) मुख्यालय में पार्क के स्थान पर पार्किंग बनाए जाने के मुद्दे पर एक बार फिर कर्मचारी-अधिकारी व प्रबंधन आमने-सामने नजर आ रहे हैं। प्रबंधन की ओर से भेजे गए इस प्रस्ताव की भनक लगते ही कर्मचारी लामबंद हो गए हैं। उत्तराखंड विद्युत कर्मचारी-अधिकारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने इस संबंध में प्रबंधन को आंदोलन की धमकी दी है।

मोर्चा की ओर से शुक्रवार को प्रबंध निदेशक को ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें मुख्यालय में पार्किंग निर्माण का प्रस्ताव वापस लेने की मांग की गई। कहा कि पार्किंग निर्माण के बाद यूपीसीएल कॉलोनी के बच्चों के खेलने व बैठने का आश्रय स्थल छीन जाएगा। जबकि, यहां पार्किंग बनने से भी ज्यादा लाभ नहीं होगा। क्योंकि पार्क वाला स्थान सीमित है और यहां छह से सात से ज्यादा बड़े वाहन खड़े नहीं किए जा सकते हैं। उन्होंने पार्किंग निर्माण के प्रस्ताव के औचित्य पर सवाल भी उठाए। मोर्चा ने साफ कहा कि वे पार्किंग का निर्माण कार्य शुरू होने नहीं देंगे। ज्ञापन सौंपने वालों में उत्तरांचल बिजली कर्मचारी संघ, विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन, उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर्स एसोसिएशन, हाइड्रो इलैक्ट्रिक इंप्लाइज यूनियन, पावर लेखा एसोसिएशन के पदाधिकारी शामिल रहे।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *