-नम आंखों से दी मां को विदाई
देहरादून। बसंत पंचमी पर विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की गई। यह पूजा विद्यार्थियों के अलावा संगीत से जुड़े लोगों के लिए भी खास महत्व रखती है क्योंकि ये माना जाता है कि देवी सरस्वती संगीत की भी देवी हैं.
देशभर में बसंत पंचमी का त्यौहार धूमधाम से मनाया गया। विद्या की देवी का यह पर्व हिन्दु कैलेंडर के अनुसार हर साल माघ महीने के पांचवें दिन मनाया जाता है। यह त्योहार वसंत ऋतु के आने का सूचक है. देश के कई हिस्सों में इस दिन को वागीश्वरी जयंती और श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। बसंत पंचमी पर विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा विद्यार्थियों के अलावा संगीत से जुड़े लोगों के लिए भी खास महत्व रखती है क्योंकि ये माना जाता है कि देवी सरस्वती संगीत की भी देवी हैं।
बसंत पंचमी के पावन अवसर पर रविवार को राजधानी में कई जगहों पर मां सरस्वती की पूजा अर्चना पूरे हर्षोल्लास के साथ की गई। सरस्वती पूजा के लिये मां सरस्वती को आकर्षक रूप से सजाया गया और महाप्रसाद के वितरण का आयोजन किया गया। सोमवार की सुबह से ही सरस्वती पूजा की रौनक अलग अलग जगहों पर देखने को मिल रही थी। इसी क्रम में पिछले दस सालों की भांति इस साल भी बिहारी महासभा द्वारा सरस्वती पूजा का आयोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम का मंचन किया गया। कार्यक्रम में बिहार से आये उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि उत्तराखंड में बिहार की संस्कृति को जीवंत रखने के लिये बिहारी महासभा को धन्यवाद। सरस्वती पूजा के अवसर पर आने से ऐसा लग रहा है कि मैं बिहार में ही हूं। बिहार लोग देश के हर राज्य में अपनी मेहनत और लगन के बूते हैंए बिहार के लोगों में कला कौशल और क्षमता है इसी कारण वों उत्तराखंड में भी अपना परचम लहरा रहे हैं। कार्यक्रम में उत्तराखंड सरकार के कई वरिष्ठ नौकरशाह जिस में प्रमुखता से उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री ओम प्रकाश ,सचिव मुख्यमंत्री राधिका झा, सचिन नितीश कुमार झा, सचिव रमेश कुमार सुधांश एवं पुलिस अधिकारियों में मुख्य रूप से एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार आई.जी अमित सिन्हा, देहरादून की पुलिस कप्तान निवेदिता कुकरेती, नगर एसपी श्वेता चौबे ,सहित यूपीसीएल के एमडी सी.के मिश्रा सहित कई गणमान्य सदस्य मौजूद थे। वहीं राजनीतिक अतिथियों में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, सरकार के काबीना मंत्री प्रकाश पंत, अरविंद पांडे सहित कई दिग्गज नेताओं ने शिरकत की। इस मौके पर देहरादून के महापौर सुनील उनियाल गामा भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में बिहारी महासभा की ओर से अतिथियों का स्वागत सम्मान किया गया एवं बिहारी महासभा के सचिव चंदन कुमार झा की ओर से यह निवेदन किया गया कि अगले वर्ष से सरस्वती पूजा के दिन अन्य प्रदेशों की तरह इस प्रदेश में भी सार्वजनिक अवकाश घोषित कर शिक्षण संस्थानों- स्कूल, मेडिकल कॉलेज, सरकारी कॉलेज, गैर सरकारी कॉलेज में सरस्वती पूजा को अनिवार्य किया जाए।
यह मांग सरकार और शासन के लोगों से की गइ। बिहारी महासभा के सरस्वती पूजा कार्यक्रम में सभा के अध्यक्ष ललन सिंह,संरक्षक सत्येंद्र सिंह ,कोषाध्यक्ष रितेश कुमार सदस्य के रूप में आलोक सिन्हा, अमरेंद्र कुमार, उमेश राय, डॉक्टर रंजन कुमार, विद्या भूषण सिंह, विनय कुमार यादव, रघु साहनी, धर्मेंद्र कुमार, गणेश कुमार, अजय कुमार, डीके सिंह, आर.एस.पी सिंह सहित हजारों कार्यकर्ताओं ने शिरकत की। बिहारी महासभा के सचिव श्री झा ने बताया कि सरस्वती माता विद्या एवं संगीत की देवी कही जाती है। यह श्वेत वस्त्र धारण करती है। इसका वाहन हंस है, इनके हाथों में वीणा पुस्तक कमल एवं माला होती है। यह ज्ञान की देवी हर मनुष्य को बुद्धि प्रदान कर सकती है। माता स्वभाव से अत्यंत कोमल होती है। मां शारदा विद्या दायिनी बागेश्वरी वाणी आदि नामों से इन्हें पुकारा भी जाता है। मान्यता यह भी है कि माता सरस्वती का जन्म बसंत पंचमी के दिन हुआ था, इसलिए इसी दिन इनकी पूजा का महत्व सभी पुराणों में मिलता है। लेकिन दुर्गा नवमी के समय भी सरस्वती पूजा का महत्व होता है। मान्यता के अनुसार नव दुर्गा के दूसरे दिन माता सरस्वती का पूजन किया जाता है। कई जगहों पर पूरे 9 दिन मां सरस्वती मां दुर्गा माता लक्ष्मी की प्रतिमा बैठाकर विधि विधान से इनकी पूजा की जाती है। रविवार को पूरे विधी विधान के साथ मां सरस्वती की पूजा की गई और मां की पूजा के बाद विसर्जन के लिये प्रतिमा को हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी सहस्त्रधारा स्थित मालदेवता ले जाया गया। यह कार्यक्रम श्री शिवा बालयोगी आश्रम में विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी रखा गया। वहीं सभा के अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि बिहारी महासभा के सरस्वती पूजा का यह ग्यारहवां साल है, हमें इसी तरह आपस में मिल जुल कर संगठनात्मक ढ़ांचे को आगे बढ़ाने की जरूरत है। संगठन हमेंशा व्यक्ति से सर्वोपरी है, इसमे व्यक्ति की महत्ता कम और संगठन की महत्ता ज्यादा है, इसलिये हम सब को मिल जुलकर सभा को आगे बढ़ाने की जरूरत है। समीति के द्वारा कार्यक्रम के आयोजन पर सचिव चंदन कुमार झा ने कहा कि पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये महासभा से जुडे सैकड़ो कार्यकर्ताओं एवम उनके परिवार के लोगों से सहयोग ली गई और उनके सहयोग के जरिये ही सरस्वती पूजा का सफल आयोजन किया जा सका है। 10 फरवरी को सुबह 10 बजे मूर्ति प्रतिष्ठा एवम् पूजा किया गया और दोपहर 1 बजे प्रसाद वितरण एवम् भंडारा। कलाकारों के लिये विविध कार्यक्रम साढ़े पांच बजे शाम से रात्रि 10 बजे तक किये गये। वहीं 11 फरवरी सोमवार को 11 बजे पूरे विधी विधान समेत सहस्त्र धारा स्थित मालदेवता नहर में माता की विदाई और विसर्जन किया गया। जहां बिहारी महासभा के गणमान्य सदस्यों ने धुमधाम से रंग गुलाल खेलकर माता को विदाई दी और विसर्जन सम्पन्न किया।